नई दिल्ली. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का आंदोलन फिर शुरू हो गया है. महंत परमहंस दास ने मंदिर निर्माण के लिए आमरण अनशन शुरू किया है. कल यानि पांच अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर निर्माण पर विचार के लिए साधु संतों की बैठक बुलाई है. इसमें मंदिर आंदोलन का विस्तार करने की रणनीति पर चर्चा होगी. महंत परमहंस दास का कहना है कि जब एससी-एसटी का बिल मोदी सरकार बना सकती है तो राम मंदिर पर क्यों नहीं. इसके साथ ही उन्होंने यह आरोप भी लगाा था कि पीएम ने देश के सभी मठ मंदिरों में जाकर मत्था टेका है लेकिन रामलला के दरबार में अभी तक नहीं आए हैं.
महंत परमहंस दास का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आकर रामलला के दर्शन करें. टेंट में विराजमान रामलला की पीड़ा समझें और राममंदिर बनाने का आदेश करें, तभी वे अनशन खत्म करेंगे. वरना आखिरी सांस तक अनशन चलता रहेगा. परमहंस के समर्थन में संत भी उतर गए हैं, संतों ने बृहस्पतिवार को सामूहिक अनशन करने का भी एलान किया है. उधर, सांसद, विधायक व विहिप के नेता परमहंस को मनाने पहुंचे और उनकी मांग को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का भी भरोसा दिया, लेकिन परमहंस अपने मांग पर अडिग हैं.
महंत परमहंस दास से मिलने पहुंचे विधायक वेद गुप्ता कहना है कि राममंदिर तो अयोध्या में ही बनेगा, लेकिन मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इसलिए निर्णय का इंतजार करना चाहिए. उधर बड़ी संख्या में बुधवार को संत भी परमहंस के समर्थन आए. रंगमहल के महंत रामशरण दास ने कहा कि महंत परमहंस भगवान राम के लिए अनशन कर रहे हैं, उनका उद्देश्य पवित्र है. मोदी देश-विदेश घूम सकते हैं तो अयोध्या क्यों नहीं आ सक