डेस्क। देश के सबसे अहम और बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बढ़ती आतंकी गतिविधियों, खालिस्तान समर्थकों और पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई की दस्तक से तमाम सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां न सिर्फ चौकन्नी हो गई हैं बल्कि एक तरह से अलर्ट भी हो गई हैं। दरअसल जिस तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाल में लगातार ऐसे मामले आए हैं। वो न सिर्फ काफी गंभीर हैं बल्कि काफी हद चौंकाने वाले हैं। इस लिए अगर समय रहते इन पर लगाम नही लगी तो भविष्य में परिणाम घातक होने की संभावना प्रबल है।
गौरतलब है कि प्रदेश के जनपद मेरठ में सेना के जवान की गिरफ्तारी और पश्चिमी यूपी में खालिस्तान समर्थकों का सक्रिय होना किसी बड़ी साजिश का अंदेशा दे रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि दर्जनभर से ज्यादा आतंकी संगठन यहां सक्रिय हैं। पश्चिमी यूपी में फिर से खालिस्तान समर्थकों की दस्तक और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश का शिकार बने सेना के जवान कंचन सिंह की गिरफ्तारी के बाद पूरे पश्चिमी यूपी में सुरक्षा हाईअलर्ट पर है। इससे पहले भी देश की सुरक्षा एजेंसियों ने यहां बड़े-बड़े खुलासे किए हैं।
जनपद मेरठ में पाकिस्तानी खुफिया बखूबी एजेंसी की दस्तक के संकेत उस वक्त भी मिले थे जब यहां तीन साल पहले भी एसटीएफ ने पाकिस्तानी नागरिक और आईएसआई के जासूस एजाज को गिरफ्तार किया था। उसने मेरठ सैन्य छावनी के नक्शे समेत कई गोपनीय जानकारी बाहर भेजी थी। बरेली कैंट, देश की पनडुब्बी परियोजना, एयरफोर्स स्टेशन हिंडन और सहारनपुर बेस की सूचनाएं आईएसआई को भेजी थी।
वहीं वहीं अब भारतीय सेना के जवान कंचन सिंह का कनेक्शन भी आईएसआई के साथ पाया जाना बहुत ही गंभीर संकेत हैं। दरअसल पाकिस्तान से आई महज एक कॉल ने सेना के जवान कंचन सिंह को देश विरोधी गतिविधियों में शामिल कर दिया। सेना की नजर में अब वह देशद्रोह का आरोपी है। अभी तक की पूछताछ में यह पता चला है कि एक अनजान कॉल आने के बाद ही वह गोपनीय सूचनाएं लीक कर रहा था। खुफिया स्तर पर इस कॉल का पता लगाया जा रहा है।
जानकारों की मानें तो वैसे तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी भारत की के सभी छावनी क्षेत्र में अपनी किसी न किसी तरह से घुसपैठ चाहती है। जिसके लिए वो हर हथकण्डा अपनाने को तैयार रहती है। इसके लिए तरह-तरह से जवानों को लालच दिया जाता है। कई बार पाकिस्तान से आई रांग कॉल के जरिए भी शिकार तलाशे जाते हैं। कई बार फेसबुक से नंबर हासिल करके कॉल की जाती है तो कई बार किसी दूसरे माध्यम से। सैन्य अफसरों का कहना है कि कंचन भी इसी तरह से जाल में फंसा।