नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से लगातार जारी अलर्ट का दावा उस वक्त फिर महज छलावा साबित हुआ जब पंजाब में आतंकी हमला करने में कामयाब रहे। तमाम चौकसी के बावजूद रविवार को पंजाब के अमृतसर में राजासांसी स्थित निरंकारी भवन में आतंकी हमला हुआ है। इस दौरान ग्रेनेड से हुए हमले में तीन लोगों की जान चली गई, वहीं 20 घायल हुए बताया जाता है कि हमलावर बाइक पर सवार होकर आये थे। हालांकि पंजाब पुलिस के डीजीपी के मुताबिक, वे इसे आतंकी हमला ही मानेंगे और उसी तरह जांच की जाएगी।
गौरतलब है कि 5 दिन पहले जम्मू से आए चार लोगों ने पंजाब बॉर्डर पर एक कार हाईजैक कर ली थी। उनका अभी तक कोई सुराग नहीं लगा। इसके साथ ही दो दिन पहले अमृतसर में आतंकी मूसा के होने की खबर थी। इसके चलते पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया था। प्रदेश भर में कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे, बावजदू इसके हमला हो गया। यह प्रशासन की बड़ी चूक ही कहा जाएगा ।
इसके साथ ही ऐसा माना जा रहा है कि हमलावरों ने रविवार का दिन संभवतः इसलिए चुना क्योंकि उस समय निरंकारी भवन में सत्संग चल रहा था। रविवार का दिन था, तो काफी संख्या में लोग भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि हमले के वक्त तकरीबन दो सौ के आसपास लोग मौजूद थे। वहीं ऐसा भी कहा जा रहा है कि इसे ऊपरवाले की मेहरबानी ही कहेंगे कि ऐसे में हड़बड़ी के चलते हमलावर उस हद तक नुक्सान नही पहुंचा सके। जिस हद तक वो नुक्सान पहुंचाने के इरादे से आये थे।
वहीं ऐसा भी माना जा रहा है कि इस हमले के पीछे कुख्यात आतंकी जाकिर मूसा का हाथ है। लेकिन पंजाब पुलिस ने इससे साफ इंकार कर दिया है। पुलिस का कहना है कि इस हमले का मूसा से कोई संबंध नहीं है। हमारी तरफ से पंजाब भर में नाकाबंदी कर दी गई है। हर आने-जाने वाले की चेकिंग की जा रही है। जल्दी ही ग्रेनेड फेंकने वालों को पकड़ लिया जाएगा।
ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब पंजाब में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया था। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे। हर आने जाने वाले की चेकिंग की जा रही थी। बीएसएफ भी अलर्ट पर थी, उसके बावजूद हमलावरों को ग्रेनेड और पिस्टल कैसे मिले। वे हथियार लेकर निरंकारी भवन तक कैसे पहुंचे। क्या रास्ते में कहीं उनकी चेकिंग नहीं की गई। एक तरह से हाई अलर्ट के बावजूद ऐसा होना सुरक्षा में चूक ही माना जाएगा।