डेस्क। भले ही हम कितना ही तरक्की के दावे कर लें लेकिन आज भी देश में तमाम हिस्से ऐसे हैं जहां अशिक्षा और अंधविश्वास का बोलबाला है। जिसके चलते ऐसे किस्से सामने आ जाते हैं जिनको जानकर आप न सिर्फ हैरत में पड़ जाऐंगे बल्कि काफी कुछ सोचने पर मजबूर भी हो जायेंगे। ऐसा ही एक बेहद ही खैफनाक और दर्दनाक किस्सा मध्य प्रदेश के खण्डवा से सामने आया है। जहां अपनी बच्ची के हाथों और पैरों में छह छह अंगंलियां होने पर उसे अपशकुन मान मां ही ने बिना जाने समझे उसकी सारी छठी अंगुलियां काट डालीं और नवजात की कितनी दर्दनाक मौत हुई होगी इसको महसूस कर हम आप सभी सिहर जाऐंगे। जबकि ऐसा माना जाता है कि छह अंगुलियां होने वाले काफी शुभ होते हैं।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के खण्डवा में आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखनेवाली महिला ने अंधविश्वास के चलते अपनी नवजात बच्ची की छठी अंगुलियों को काट दिया। बच्ची के हाथ और पैरों में छह-छह अंगुलियां थी। इस मां ने छह अंगुलियों को अपशकुन मानते हुए बच्ची के दोनों हाथ और पैरों की एक-एक अंगुली काट दी। असुरक्षित तरीके से किए गए इस कार्य से बच्ची की संक्रमण हो गया और उसने छह घंटों में उसकी मौत हो गई। इस घटना की जानकारी स्वास्थ्य अमले को दो दिन बाद लगी। बीएमओ ने प्रसूता के घर पहुंचकर पंचनामा बनाया और जिम्मेदार कर्मचारियों को नोटिस थमा दिया।
बताया जाता है कि दरअसल आदिवासी ब्लॉक खालवा के सुंदरदेव गांव में रामदेव की पत्नी ने शनिवार रात एक बेटी को जन्म दिया था। बेटी के हाथ व पैरों में छह-छह अंगुलियां देख प्रसूता को कुछ अपशकुन होने का अंदेशा हुआ। उसने बिना किसी को कुछ बताए हंसिये से नवजात के हाथ-पैरों से एक-एक अंगुली काट दी। रामदेव ने प्रसव की सूचना गांव की आशा कार्यकर्ता को भी नहीं दी। सोमवार सुबह नवजात की मौत हो गई। वहीं फिर क्या बच्ची की मौत की गांववालों में चर्चा फैल गई।
वहीं इस बात की जानकारी जब दो दिन बाद सोमवार को स्वास्थ्य प्रशासन तक मामले की भनक लगी तब जाकर बीएमओ हरकत में आए। खालवा के बीएमओ डॉ. शैलेंद्र कटारिया ने सुंदरदेव गांव पहुंचकर रामदेव की पत्नी से बातचीत की। जिसपर बच्ची की मां ने छठी अंगुली को अशुभ बताते हुए काटना स्वीकार किया। कटारिया ने बताया कि असुरक्षित तरीके से अंगुलियां काटने के बाद इंफेक्शन से बच्ची की मौत हुई है। उन्होंने पंचनामा बनाकर सुपरवाइजर, एएनएम, आशा कार्यकर्ता और सहयोगिनी को नोटिस जारी कर दिया है। खालवा ब्लाक के कई गांव जंगल में हैं। सुदूर ग्रामीण इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं है। इस वजह से लोग चाहकर भी जननी एक्सप्रेस या 108 को सूचना नहीं दे पाते।