नई दिल्ली! जम्मू-कश्मीर के लिए साल 2018 आतंकी घटनाओं से भरा रहा है. इस साल चिंता की बात ये रही कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों का प्रभाव घाटी के स्थानीय युवाओं पर अधिक रहा और कई कश्मीरी युवा आतंकी बने, जिनमें से अधिकतर मारे भी गए.
सेना की 15 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, जम्मू और कश्मीर में इस साल यानी 2018 में सुरक्षा बलों ने 311 आतंकियों को ढेर किया. उन्होंने इसका श्रेय सुरक्षा बलों के बीच शानदार तालमेल और ऑपरेशन की आजादी को दिया. खास बात ये है कि पिछले एक दशक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इस साल सबसे अधिक आतंकी मारे गए हैं. इससे पहले साल 2010 में 2010 में 232 आतंकी मारे गए थे.
इसके साथ ही घाटी में आतंकी घटनाओं के ग्राफ में भी पहले के मुकाबले इजाफा हुआ है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि इस साल जम्मू-कश्मीर में 429 आतंकी घटनाएं हुई हैं, जबकि बीते साल 342 आतंकी घटनाएं हुई थीं. इसके अलावा इस साल दिसंबर के पहले हफ्ते तक सुरक्षा बलों के 80 जवान शहीद हुए और पिछले साल भी 80 जवान शहीद हुए थे.
खास बात ये है कि इस साल कुल मारे गए 311 आतंकियों का आंकड़ा दिसंबर के पहले हफ्ते तक 223 था, जिसका मतलब है कि बीते 3 हफ्तों में ही 88 आतंकी ढेर हुए हैं. दिसंबर के पहले हफ्ते तक मारे गए कुल आतंकियों में 93 विदेशी थे. 15 सितंबर को सूबे में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद से अगले 80 दिनों में ही 81 आतंकी मारे गए. वहीं, 25 जून से लेकर 14 सितंबर के बीच 51 आतंकी ढेर किए गए. वहीं 15 सितंबर से 5 दिसंबर के बीच 2 स्थानीय नागरिक भी मारे गए.
जम्मू-कश्मीर में 19 जून को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद पहले के मुकाबले ज्यादा आतंकी ढेर हुए हैं. इस दौरान सुरक्षा बलों ने घाटी में कई शीर्ष आतंकी कमांडरों को भी ढेर किया. इनमें लश्कर कमांडर नवीद जट, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का भतीजा स्नाइपर उस्मान हैदर और हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर अल्ताफ अहमद डार भी शामिल हैं. वहीं सेना की आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में स्थानीय लोगों के विरोध-प्रदर्शन एक बड़ी अड़चन रही. पत्थरबाजी की इन घटनाओं 25 जून से 14 सितंबर के बीच 8 सिविलियन मारे भी गए और 216 घायल हुए. इसके अलावा दिसंबर में एक एनकाऊंटर के बाद पत्थरबाजों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें सेना की जवाबी कार्रवाई में 6 स्थानीय लोगों की मौत हो गई.
मौजूदा समय में सेना के लिए जो चिंता की बात बनी हुई है, वो है स्थानीय आतंकियों की भर्ती में इजाफा. हिज्बुल मुजाहिदीन और पाकिस्तानी आतंकी संगठन स्थानीय कश्मीरियों को भर्ती कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि हाल के महीनों में आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती के मामलों में मामूली कमी आई है. फिर भी इस समय घाटी में 250 से 300 आतंकियों के सक्रिय होने का अनुमान है.