नई दिल्ली! छिपाए गए धन या गैरकानूनी गतिविधियों के लिए मुखौटा कंपनियां यानी सिर्फ कागजों में कंपनियां बनाकर धोखाधड़ी करने वालों पर सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. ऐसी कंपनियों के खिलाफ अभियान के तहत मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स जल्द ही फर्मों के लिए अपने ग्राहक को जानो’ यानी ‘नो योर कस्टमर’ (KYC) प्रक्रिया शुरू करने जा रही है. इसके तहत सभी कंपनियों के लिए अपने प्रमुख अधिकारियों और कर्मचारियों के डीटेल को बताना अनिवार्य होगा. इससे जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘यह बहुत जल्द शुरू होगा, मुमकिन है कि इसी महीने से शुरू हो जाए.’
बता दें कि मुखौटा यानी शेल कंपनियां वे फर्म होते हैं जिनका वजूद सिर्फ कागजों पर होता है और जिन्हें छिपाए गए धन या गैरकानूनी गतिविधियों के लिए ही बनाया गया होता है. मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने पिछले साल सभी पंजीकृत कंपनियों के डायरेक्टरों के लिए KYC प्रक्रिया शुरू की थी. DIN यानी डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर्स वाले 33 लाख डायरेक्टरों में से सिर्फ 16 लाख डारेक्टरों ने ही KYC प्रक्रिया को पूरा किया है. मिनिस्ट्री KYC प्रक्रिया को मुखौटा कंपनियों को पहचानने के तरीके के तौर पर देख रहा है. यही वजह है कि जिन्होंने अपने डीटेल नहीं दिए हैं, वे जांच के दायरे में हैं.
इसके अतिरिक्त, KYC प्रक्रिया को कंपनी फाइलिंग से भी लिंक किया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि जो कंपनियां अपनी वार्षिक रिपोर्ट को फाइल नहीं करती हैं, उन्हें KYC प्रक्रिया को पूरा करने की इजाजत नहीं होगी. अधिकारी ने बताया कि अगर किसी कंपनी को KYC की इजाजत नहीं होगी तो वह तमाम ऑपरेशंस को करने में असमर्थ होगी.
कॉर्पोरेट अफेयर्स सेक्रेटरी आई. श्रीनिवास ने बताया कि KYC प्रक्रिया के तहत ‘प्रफेशनल्स की स्क्रीनिंग होगी और उसके बाद उन्हें सिस्टम में रजिस्टर’ किया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय के पोर्टल पर MCA 21 के रजिस्ट्रेशन के लिए भी KYC का पालन अनिवार्य होगा.