- साफ कहा कि उनके मामले में प्राकृतिक न्याय को समाप्त कर दिया
- पूरी प्रक्रिया को उल्टा कर मुझे निदेशक के पद से हटा दिया गया
- कहा कि सीबीआई की साख को बरबाद करने की कोशिश हो रही है
- जबकि सीबीआई को बिना बाहरी दबाव के काम करना चाहिए
नई दिल्ली। सीबीआई विवाद में फिर एक नया और अहम मोड़ तब आ गया जब डीजी फायर सर्विस का चार्ज लेने के बजाय सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा ने सेवा से इस्तीफा ही दे दिया। इतना ही नही बल्कि उन्होंने इसके साथ ही साफ कहा कि उनके मामले में प्राकृतिक न्याय को समाप्त कर दिया है।
गौरतलब है कि वर्मा ने कहा कि सीबीआई की साख को बरबाद करने की कोशिश हो रही है। जबकि सीबीआई को बिना बाहरी दबाव के काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने सीबीआई की साख बनाए रखने की कोशिश की है। लेकिन मेरे मामले में पूरी प्रक्रिया को उल्टा कर मुझे निदेशक के पद से हटा दिया गया है।
वहीं जबकि इससे पहले अंतरिम सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव ने पूर्व निदेशक आलोक वर्मा द्वारा किए गए तबादलों संबंधी फैसले को रद्द कर दिया है और अधिकारियों की आठ जनवरी वाली स्थिति बहाल कर दी है। राव ने शुक्रवार को जारी नए आदेश में घोषणा की कि वर्मा द्वारा दिए गए आदेश ‘‘अस्तिव में नहीं हैं’’।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया था। इसके बाद वर्मा ने राव द्वारा किए गए सभी तबादले रद्द कर दिए थे। उन्होंने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ मामले की जांच के लिए एक नया जांच अधिकारी भी नियुक्त किया था।
वहीं जबकि बीते कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सदस्यता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने वर्मा का सीबीआई से बृहस्पतिवार को तबादला कर दिया था। सरकार ने अतिरिक्त निदेशक नागेश्वर राव को एजेंसी का प्रभार सौंपा।
हालांकि पूर्व में उच्चतम न्यायालय ने राव को कोई भी बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से रोक दिया था लेकिन इस बार उनके कार्यकाल में ऐसी कोई शर्त नहीं है। एक सीबीआई प्रवक्ता ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि राव ने बृहस्पतिवार नौ बजे एजेंसी का कार्यभार संभाला।