त्रिपुरा. नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के ख़िलाफ़ पूर्वोत्तर राज्यों में चल रहे उग्र प्रदर्शनों के बीच त्रिपुरा सरकार ने एसएमएस और मोबाइल इंटरनेट सेवा 48 घंटे के लिए बंद कर दी है. दोपहर 2 बजे से इने सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
त्रिपुरा के कई शहरों में इस विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों और आम लोगों के बीच तीखी झड़प देखने को मिली. नागालैंड छोड़कर त्रिपुरा समेत पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में 11 घंटे का बंद बुलाया गया है. विधेयक के ख़िलाफ़ सुबह 5 बजे से ही इन राज्यों में आम जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है. लोग CAB को वापस लेने की मांग के साथ सड़कों पर उतरे हुए हैं.
नागालैंड में हॉर्नबिल त्योहार चल रहा है, जिसके चलते इस राज्य में बंद नहीं बुलाया गया है. बंद को कई राजनीतिक पार्टियों, संगठनों और नागरिक समाज का समर्थन हासिल है. इस विधेयक के चलते ग़ैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिलने का दरवाज़ा खुल जाएगा और इसी प्रावधान के ख़िलाफ़ पूर्वोत्तर के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.
पूर्वोत्तर के लोगों का दिल्ली में प्रदर्शन
हालांकि विधेयक के संशोधित मसौदे में इनर लाइन परमिट वाले राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और नागालैंड) और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल राज्यों (त्रिपुरा, असम और मेघालय) को इस क़ानून के दायरे से बाहर रखा गया है. पूर्वोत्तर राज्यों के छात्र संगठनों की सबसे बड़ी इकाई नॉर्द-ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (NESO) ने ये बंद बुलाया है.
इस संघ का कहना है कि सरकार पूर्वोत्तर राज्यों पर नागरिकता क़ानून लाद रही है. नेसो के अध्यक्ष सैमुअल जेरवा ने कहा है कि इस विधेयक के ज़रिए ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से भारत में रहने वाले बांग्लादेशियों की तादाद बढ़ाने में मदद मिलेगी और इससे पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति ख़तरे में पड़ जाएगी.
इस क़ानून पर जबसे चर्चा शुरू हुई है, तभी से पूर्वोत्तर राज्यों में इसके ख़िलाफ़ तीखा प्रदर्शन देखा जा रहा है. 8 जनवरी को भी इस विधेयक को पहली बार लोकसभा से पारित किया गया था, तो उस वक़्त भी पूर्वोत्तर राज्यों में इसके ख़िलाफ़ उग्र प्रदर्शन देखने को मिला था. उस वक़्त ये विधेयक राज्य सभा से पारित नहीं हो सका. फिर लोकसभा भंग होने के बाद विधेयक भी भंग हो गया. सोमवार को वापस गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लोकसभा में पेश किया और संसद के निचले सदन ने इसे बहुमत से मंजूरी दे दी.