नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) का लोकसभा में समर्थन करने वाली शिवसेना राज्यसभा में बिल का समर्थन करेगी या नहीं इसको लेकर सस्पेंस पैदा कर दिया है. शिवसेना सेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि लोकसभा में हमारे कई सवालों का जवाब नहीं दिया या . राज्यसभा में बिल लाने से पहले बिल में बदलाव करने होंगे नहीं तो उनका वोट बदल भी सकता है. आपको बता दें कि लोकसभा में शिवसेना का कहना था कि जिन लोगों को इस विधेयक के अमल में आने पर नागरिकता मिलने वाली है, उन्हें 25 साल तक मताधिकार नहीं दिया जाए.
वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने संसद में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि लोकसभा में जो हुआ उसे भूल जाएं, राज्यसभा में कल बिल आने दें. उन्होंने कहा कि कल राज्यसभा में जब बिल आएगा तो आपको पार्टी का स्टैंड पता चल जाएगा. उन्होंने कहा कि यहां बात विरोध या समर्थन में नहीं है बहुत सी बातें है, जिसमें शिवसेना की भूमिका में रही है. राज्यसभा में कल हम अपनी भूमिका रखेंगे.
इस बिल के लोकसभा में पास होने के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट करके कहा कि राजनीति में अंतिम कुछ नही होता… चलता रहता है…
नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा में भाग लेते हुए शिवसेना सांसद विनायक राउत ने कहा कि उनकी पार्टी इस पक्ष में है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को यहां सम्मान दिया जाए, लेकिन इसमें श्रीलंका में पीड़ा झेलने वाले तमिलों को भी शामिल किया जाए.
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से कितने लोग भारत में आए और इस विधेयक के पारित होने के बाद कितने लोगों को नागरिकता दी जाएगी. राउत ने कहा कि देश बहुत मुश्किलों का सामना कर रहा है और ऐसे में इन लोगों को नागरिकता देने से देश पर कितना बोझ पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि अगर विषय पर कुछ राजनीति नहीं हो रही है तो जिन लोगों को नागरिकता दी जाएगी उन्हें 25 साल तक मताधिकार नहीं मिलना चाहिए. शिवसेना नेता ने यह भी पूछा कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद कितने कश्मीरी पंडितों को वहां बसाया गया है.
द्रमुक नेता दयानिधि मारन ने आरोप लगाया कि इस सरकार का हर कदम एक समुदाय के खिलाफ है और इस समुदाय के बीच डर का माहौल है. उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी देशों के डर के चलते ईसाई समुदाय को इस विधेयक के दायरे में लाया गया है मारन ने कहा कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नाकाम होने के बाद सरकार इस तरह के विभाजनकारी कदम उठा रही है.
तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यह सरकार स्वामी विवेकानंद, सरदार पटेल और दूसरे महापुरुषों के सिद्धांतों एवं विचारों के खिलाफ कदम उठा रही है. उन्होंने एनआरसी और नागरिकता विधेयक दोनों की आलोचना की. बनर्जी ने कहा कि बंगालियों के खिलाफ किसी भी कदम को स्वीकार नहीं किया जाएगा. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मिथुन रेड्डी ने कहा कि पाकिस्तान के बोहरा और अहमदिया समुदायों तथा श्रीलंका के तमिलों को भी इस विधेयक के दायरे में लाया जाए.