लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन तलाक की शिकार महिला को नवगठित उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य नियुक्त किया है. प्रदेश सरकार द्वारा गठित पैनल के आठ सदस्यों में चौबीस वर्षीय वाणिज्य स्नातक सोफिया अहमद शामिल हैं. सोफिया तीन तलाक की शिकार हैं. आयोग के अन्य सदस्य रूमाना सिद्दीकी, सैयद इकबाल हैदर, सुरेश जैन रितुराज, सुखदर्शन बेदी, मनोज कुमार मसीह, अफजल चौधरी और मोहम्मद आलम हैं. तलाक के बाद से ही सोफिया तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं.
सोफिया ने उच्चतम न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था. सोफिया का निकाह 2015 में राजनीतिक पृष्ठभूमि के एक व्यक्ति से हुआ था, लेकिन साल भर बाद ही उनका संबंध विच्छेद हो गया. इसके बाद वह तीन तलाक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक रहीं. सोफिया भाजपा में दिसंबर 2016 में शामिल हुई थीं.
तीन तलाक पर अकेले दम लड़ाई लड़ने से लेकर उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनने तक का सोफिया अहमद का सफर संघर्ष की मिसाल है. चौबीस वर्षीय वाणिज्य स्नातक सोफिया को अगस्त 2016 में ससुराल छोड़ने पर मजबूर किया गया था. उस समय उसकी गोद में 40 दिन का बच्चा था. सोफिया ने ‘भाषा’ से फोन पर कहा, मुझे रात में ही पति का घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. ऐसा लगा कि जिंदगी खत्म हो गयी. उसके बाद का संघर्ष काफी कड़ा था. उन्होंने कहा कि लोग सोचते हैं कि तीन तलाक कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि महिला को कितनी कठिनाइयां पेश आती हैं, जब गुजारा भत्ता मांगने, बच्चे की देखरेख का जिम्मा और ऐसी ही अन्य बातों के लिए संघर्ष महिला को ही करना पड़ता है.