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दिल्ली ने फिर से केजरीवाल को सिर आंखों पर बिठाया, भाजपा को आईना दिखाया और कांग्रेस का खाता तक न खुल पाया

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नई दिल्ली। भारत की राजधानी और देश का दिल कही जाने वाली दिल्ली विधानसभा के चुनावों के लगभग तय हो चुके परिणामों पर अगर गौर करें तो एक तरह से आम आदमी पार्टी मुखिया अरविन्द केजरीवाल के करिश्माई व्यक्तित्व और सधी हुई रणनीति के आगे जहां देश में दशकों और दिल्ली पर भी कई कार्यकालों तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी एक बार फिर अपना खाता तक नही खोल सकी। वहीं पिछली बार की करारी हार से सबक न सीखने वाली भारतीय जनता पार्टी महज मोदी के सहारे और दिल्ली से मदन लाल खुराना एवं साहिब सिंह वर्मा सरीखे कोई स्थानीय मजबूत नेता का चेहरा पेश न कर सकने के चलते एक बार फिर बुरी तरह मुंह की खाई। हद तो ये है कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह समेत तमाम अन्य दिग्गज नेताओं द्वारा अपनी पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भी उनकी पार्टी महज आठ सीटों को जीतने की कगार पर पहुंच पाना यानि केजरीवाल सरीखे सूरज को दीपक दिखाना मात्र रहा।   

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी अपने नेता अरविंद केजरीवाल के करिश्माई व्यक्तित्व और सरकार के पांच साल के बेहतर काम के चलते तकरीबन अपना पिछला रिकार्ड दोहराने में सफल रही। हद की बात तो ये रही कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में  केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पिछले 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव की तरह ही तकरीबन 63 जनसभा संबोधित कर अपनी पूरी ताकत झोंकने, गलियों में पर्चे बांटने, 240 सांसदों को चुनाव में उतरने का निर्देश देने, वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों को प्रचार में उतारने, पांच हजार जनसभा करने, हाईटेक प्रचार को अपनाने के बाद भी जादू नहीं चल पाया। हालांकि भाजपा इसके बावजूद भी अपने वोट प्रतिशत बढ़ने की दुहाई देकर अपनी हार की किरकिरी कम करने की कोशिश में लगी हैं। जबकि वहीं इससे इतर कांग्रेस पार्टी रही। इस चुनाव में भी खाता नहीं खोल पाई। वोट भी काफी कम मिले।

गौर से देखें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ने अभी तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है। क्योंकि जहां पार्टी एक बार फिर अपना खाता तक नही खोल पाई। वहीं उससे भी शर्मनाक बात ये रही कि उसके  67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। हद है कि कुल हुए मतदान में से पार्टी को पांच फीसदी से भी कम वोट मिले हैं। जिसे देख हर कोई ये कहने को मजबूर है कि यह वही पार्टी है जिसने लगातार 15 सालों तक दिल्ली पर राज किया।  हालांकि तीन सीटों पर कांग्रेस जमानत बचाने में कामयाब हो पाई है। वो सीट गांधी नगर, बादली और कस्तूरबा नगर हैं। चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा भी अपनी जमानत जब्त होने से नहीं बचा सकीं। अलका लांबा आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई थीं।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल को बधाई दी है। जवाब में केजरीवाल ने भी उन्हें शुक्रिया कहते हुए दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के लिए उनसे सहयोग की उम्मीद जताई। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘बहुत-बहुत धन्यवाद सर। हमारे कैपिटल सिटी को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के लिए मैं केंद्र के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता हूं।’ जबकि कांग्रेस ने हार को स्वीकारते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जीत की बधाई दी है। कांग्रेस ने कहा कि वह जनादेश स्वीकार करती है और राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी के नवनिर्माण का संकल्प लेती है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने हार की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार की।

वहीं एक बार फिर से मुंह की खाने के बाद भाजपा के उपाध्यक्ष दिल्ली के पूर्वप्रभारी श्याम जाजू हालांकि चुनाव परिणाम को बहुत नकारात्मक नहीं मानते। उनका कहना है कि पिछली बार भाजपा की तीन सीटें आई थीं। इस बार वोट भी बढ़े हैं और सीटें भी। जाजू का कहना है कि चुनाव के बाद पार्टी हार के कारणों की समीक्षा करेगी और दिल्ली में भाजपा को मजबूत बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत का अर्धशतक लगा दिया है। चुनाव आयोग के मुताबिक आप अब तक 50 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है, जबकि अन्य 13 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। भाजपा महज छह सीटों पर जीत हासिल कर पाई है। कुछ सीटों पर मतगणना जारी है। 

एक तरफ जहां कांग्रेस अपनी हार से दुखी होने के बजाय भाजपा की हार से काफी हद तक संतुष्ट नजर आई। वहीं भाजपा के स्थानीय नेताओं का एक बार फिर हुई करारी हार को लेकर मानना है कि भाजपा को केजरीवाल ने नहीं भाजपा के नेताओं ने हराया है। उनके अनुसार प्रवेश वर्मा ब्रिगेड को आगे करके पार्टी ने एक बार फिर ठीक वो ही गलती को दोहराया जैसे 2015 में ऐन वक्त पर किरण बेदी की इंट्री कराकर हुई थी। क्योंकि पार्टी ने अति आत्मविश्वास में डूब न तो संगठन पर ध्यान दिया और न ही दिल्ली को समझने की कोशिश की। एक स्थानीय भाजपा नेता की मानें तो उसके अनुसार जहां अहंकार बढ़ जाता है, उस पार्टी को ऐसे नतीजों के लिए तैयार रहना चाहिए। इस हार के साथ ही सुगबुगाहट तेज हो चली है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की छुट्टी होने जा रही है।

एक बार फिर अपनी पार्टी के जबर्दस्त प्रदर्शन दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता, मनीष सिसोदिया समेत पार्टी के कई दिग्गज नेताओं व सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर पहुंचे। यहां पहुंच कर उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना कर मत्था टेका। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज भगवान हनुमान का दिन है जिन्होंने दिल्ली के लोगों को आशीर्वाद दिया है। हम प्रार्थना करते हैं कि हनुमान जी हमें सही रास्ता दिखाते रहें ताकि हम अगले पांच वर्षों तक लोगों की सेवा करते रहें। उन्होंने जनता को आई लव यू भी बोला। 

केजरीवाल ने कहा, सभी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद, उन्होंने रात दिन मेहनत की। मेरे परीवार ने भी खूब मेहनत की और आज मेरी पत्नी का जन्मदिन भी है।  केजरीवाल ने कहा, नई राजनीति देश के लिए शुभ संदेश है। दिल्ली ने नई राजनीति को जन्म दिया। सीएम केजरीवाल ने कहा कि सभी दिल्लीवासियों की जीत है ये। वाकई इसमें कोई दो राय नही कि दिल्ली ने तीसरी बार बेटे पर भरोसा जताया। दिल्ली के लोगों ने नई किस्म की राजनीति को जन्म दिया है। दिल्ली के लोगों ने कह दिया कि वोट उसी को जो घर-घर को पानी देगा, सड़क बनवाएगा, मोहल्ला क्लीनिक बनवाएगा। कुल मिला कर केजरीवाल की ऐसी जीत और उसके कारण जहां एक तरफ अब अन्य राज्यों की सरकारों के लिए नजीर बनेंगे बल्कि समस्याओं से जूझ रही जनता की ओर बखूबी ध्यान आकर्षित करा सकेगी। 

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