कोटा – औद्योगिक क्षेत्र के मजदूरों का ड्यूटी टाइम बढ़ाने के खिलाफ हिंद मजदूर सभा भी सामने आ गया है. केंद्रीय संगठन HMS ने केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार को पत्र लिखकर विरोध दर्ज कराया है. साथ ही देश के श्रमिक कानून के साथ ही इंटरनेशनल लेबर लॉ की भी दुहाई दी है. श्रमिकों के हित में काम करने की मांग की है, ताकि उनका शोषण न हो सके. मौजूदा समय में आठ घंटे कारखानों में श्रमिकों को काम करना होता है. बताया जा रहा है कि सरकार ने इसे 12 घंटे करने की तैयारी शुरू कर दी है. इसकी भनक लगते ही विरोध शुरू कर दिया है.
राजस्थान एचएमएस के महामंत्री मुकेश गालव का कहना है कि कोरोना के संकट से हर कोई जूझ रहा है. लॉकडाउन की स्थिति में इस तरह का फैसला करके श्रमिकों का शोषण किया जाएगा. मानसिक तनाव बढ़ेगा. सेहत पर इसका नकारात्मक असर पडऩा तय है.
कारपोरेट घरानों के पक्ष में इस तरह का फैसला अगर लिया जाएगा तो सड़क की लड़ाई शुरू कर दी जाएगी. मजदूरों का शोषण नहीं होने दिया जाएगा. फैक्ट्री एक्ट का उल्लंघन नहीं होने देंगे. इस पूरे प्रकरण को लेकर एचएमएस के नेशनल जनरल सेक्रेटरी हरभजन सिंह सिद्धु ने मंत्री को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है.
हिंद मजदूर सभा के राजस्थान प्रदेश महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि कि एक राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार सरकार कारखानों में फैक्ट्री एक्ट 1948 के तहत 1 दिन में कार्य के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटा करने पर गंभीरता से काम कर रही है. श्री गालव ने बताया कि पूर्व में 12 घंटे से 8 घंटे करवाने के लिए हजारों श्रमिकों ने शहीद होकर बलिदान दिया है, तब जाकर आईएलओ सम्मेलन 144 के अनुसार त्रिपक्षीय सहमति के ब ाद 12 घंटा से 8 घंटे कार्य हुआ था.
एचएमएस ने दी चेतावनी, कहा बड़े औद्योगिक घरानों के तुष्टिकरण का प्रयास
हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू ने श्रममंत्री के पत्र प्रेषित कर बताया कि यदि फैक्ट्री एक्ट में काम के घंटों का बदलाव करना है तो त्रिपक्षीय फोरम में लाना चाहिए, न कि कार्यकारी आदेश के माध्यम से या किसी अध्यादेश के माध्यम से नहीं होना चाहिए. श्री सिद्धू ने चेतावनी दी कि श्रमिकों की कीमत पर बड़े कार्पोरेट घरानों के तुष्टिकरण के अलावा कुछ नहीं है, यह कोरोना कहर के नाम पर संवेदनशील और भावात्मक आवेश की स्थिति का लाभ उठाने का सरकारी प्रयास है.
ओवरटाइम काम का स्पष्ट प्रावधान पहले से
श्री सिद्धू ने पत्र के माध्यम से कहा कि कारखानों में अतिरिक्त घंटे काम करने के बारे में बहुत स्पष्ट प्रावधान मौजूद है. यदि आवश्यकता हो तो श्रमिकों को मजदूरी की दर से दोगुनी दर पर अतिरिक्त काम के भुगतान के हकदार हैं. जरूरत पडऩे पर श्रमिकों को ओवरटाइम में काम करने के लिए कहा जा सकता है और कानून के प्रावधान के अनुसार उस अतिरिक्त काम के लिये मजदूरी का भुगतान किया जा सकता है.
कर्मचारियों के ईपीएफओ, ईएसआई फंड को किया जा रहा डायवर्ट
श्रम मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि इस प्रकार फैक्ट्री एक्ट अधिनियम 1948 में 8 घंटे से 12 घंटे करने के प्रस्ताव पर संशोधन की कार्यवाही की तो मजदूर शक्ति इसको कभी भी सहन नहीं करेगी. इसके अतिरिक्त श्री सिद्धू ने श्रममंत्री को यह भी अवगत करााय कि ईपीएफओ फंड जो कर्मचारी के पूर्ण स्वामित्व वाला है, उनको प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में ले जाया जा रहा है, जबकि यह पूर्णत: कर्मचारी के स्वामित्व वाला फंड है.
इसके अतिरिक्त 48 हजार करोड़ खर्च को पूरा करने के लिए ईएसआई फंड को डायवर्ट करने के कदम उठाया जा रहा है, जिसका श्री सिद्धू ने पुरजोर विरोध जताया. श्री सिद्धू ने कहा कि एक अखबार में जो खबर इस संबंध में छपी है, सरकार को उक्त रिपोर्ट व प्रस्ताव के संबंध में प्रेस स्टेटमेेंट जारी करना चाहिए, ताकि मजदूरों को स्पष्ट जानकारी मिल सके.