नई दिल्ली. रोजगार के मोर्चे पर सवालों से घिरी मोदी सरकार ने इस बार प्रधानमंत्री इम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) का टारगेट बढ़ा दिया है. बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पीएमईजीपी का फाइनेंशियल आउटले 1800 करोड़ रुपए रखा है.योजना के तहत 2018-19 में 7.04 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन अप्रैल 2017 से अब तक के आंकड़े बताते हैं कि योजना के तहत 4 लाख से अधिक युवाओं ने अप्लाई किया, लेकिन केवल 50 हजार युवाओं को ही लोन मिल पाया है. यानी कि केवल 12 फीसदी बेरोजगारों को लोन मिल पाया, बाकी 88 फीसदी युवाओं की अप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी गई.
पीएमईजीपी के पोर्टल के मुताबिक, अप्रैल 2017 से 13 फरवरी 2018 तक 4 लाख 3 हजार 988 युवाओं ने योजना के तहत लोन के लिए अप्लाई किया. इसमें से 3 लाख 49 हजार 208 अप्लीकेशन जिले के डीएम की अध्यक्षता में बनी डिस्ट्रिक्ट लेवल टास्क फोर्स कमेटी के समक्ष रखी गई. कमेटी ने 2 लाख 52 हजार 536 अप्लीकेशन को मंजूरी देते हुए बैंकों के लिए आगे भेज दिया, परंतु इनमें से केवल 49721 अप्लीकेशन को बैकों ने मंजूरी देते हुए लोन सेंक्शन किया है. दो लाख से अधिक अप्लीकेशन रिजेक्ट करने के पीछे बैंकों ने अंकों के मुताबिक लोन अप्लीकेशन के साथ जमा प्रोजेक्ट रिपोर्ट वाइबल नहीं होती है. इसके अलावा सिबिल रिपोर्ट सही न होना, एप्लिकेंट का डिफॉल्टर होना, एप्लिकेंट द्वारा अपना हिस्सा जमा न कराना, डॉक्यूमेंट जमा न करा पाना, बिजनेस की नॉलेज न होना भी एप्लीकेशन रिजेक्शन के कारण गिनाए गए हैं.
पीएमईजीपी को प्रधानमंत्री रोजगार योजना भी कहा जाता है. इस स्कीम की शुरुआत साल 2008-09 में हुई थी. इस स्कीम का मकसद सेलफ इम्प्लॉयमेंट को बढ़ाना था. इस स्कीम के तहत 18 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति सर्विस सेक्टर में 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 10 लाख रुपए से 25 लाख रुपए तक का प्रोजेक्ट लगाने के लिए सरकार से लोन ले सकता है. इस स्कीम के तहत 90 फीसदी तक लोन दिया जाता है, जबकि रूरल एरिया में प्रोजेक्ट कॉस्ट का 25 फीसदी और अर्बन एरिया में 15 फीसदी सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है.