नई दिल्ली. जहां दुनिया भर के लोग कोरोना से का इलाज ढूढऩे में ही लगे हैं, इधर भारत ने दो दिन में कोरोना की दूसरी दवा मार्केट में लॉंच कर दी है. एक दिन पहले की शक्ल में दवा सामने आई थी, जबकि रविवार 21 जून को कोरोना का इंजेक्शन मार्केट में उतारा गया है. इस इंजेक्शन को भी भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है. अब बहुत जल्दी ही कोरोना का खौफ भारत से गायब हो जायेगा.
कोरोना की यह दवा ड्रग फर्मा कंपनी हेटरो ग्रुप बनायी है. हेटरो ने रविवार को कहा कि वह कोविड-19 के इलाज के लिए इनवेस्टिगेशनल ऐंटीवायरल ड्रग रेमडेसिवीर को लॉन्च करने जा रही है. इसके लिए कंपनी को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अप्रूवल मिल चुका है. यह दवा भारत में कोविफोर के नाम से बेची जाएगी. एक दिन पहले ही, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स को कोरोना ट्रीटमेंट के लिए फेविपिराविर का जेनेरिक वर्जन लॉन्च करने का अप्रूवल मिला है. ग्लेनमार्क ने फैबिफ्लू नाम से वह दवा बाजार में उतारी है.
कंपनी के मुताबिक, डीजीसीआई ने कोविड-19 के संदिग्ध और कन्फर्म मरीजों के इलाज में इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी है. गंभीर रूप से बीमार मरीजों को यह दवा दी जा सकेगी. कंपनी ने कहा कि भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोवीफोर का अप्रूवल गेमचेंजर साबित हो सकता है क्योंकि इसके क्लिनिकल आउटकम पॉजिटिव रहे हैं. हेटरो का दावा है कि वह देशभर में मरीजों को फौरन यह दवा मुहैया कराने के लिए तैयार है.
ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने कोविड-19 के लिए फेविपिराविर को फैबिफ्लू के नाम से उतारा है. 34 टैबलेट की एक स्ट्रिप 3,500 रुपये में मिलेगी यानी एक टैबलेट करीब 103 रुपये की पड़ेगी. हालांकि इस दवा को कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों के इलाज की मंजूरी दी गई है. यह टैबलेट मरीज की कोशिकाओं में घुसती है और वायरल लोड को कम करने के लिए वायरस को अपनी कॉपी बनाने से रोकती है. इस दवा को संक्रमण के शुरुआती स्टेज में इस्तेमाल करने पर अच्छे नतीजे मिले हैं.