नई दिल्ली. एक तरफ भारत और चीन गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग और पेगोंग सो झील के पास तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ चीन की सेना एक और रणनीतिक इलाके में भारत में घुस गई है. ख़बरों के अनुसार चीन की सेना ने अब देपसांग इलाक़े में घुसपैठ की है. चीन की इस हरकत को पश्चिम की तरफ रणनीतिक इलाके में अपना नियंत्रण बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत की बहुत ही अहम हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी से क़रीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में चीन ने बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है. इस इलाके को Y जंक्शन कहा जाता है. सूत्रों के अनुसार चीन ने इस इलाक़े में सैनिकों के साथ साथ बड़े ट्रक और वाहन और ख़ास तरह के हथियार पहुंचा दिए हैं. बता दें कि 2013 में भी चीन ने इस इलाक़े में अपने तंबू गाड़े थे.
उस समय भी चीन और भारत के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था. बाद में राजनयिक वार्ता और प्रयासों के बाद यथास्थिति बना दी गई थी.बॉटल नेक भारत की तरफ करीब 18 किलोमीटर का इलाका है, लेकिन चीन इससे भी 5 किलोमीटर अंदर तक अपना दावा करता है. यह स्थान बुरत्से शहर (लद्दाख) से क़रीब 7 किलोमीटर उतरपूर्व में है. यहां पर भारतीय सेना की चौकी है. हालांकि सेना ने अभी तक चीन की इस हरकत पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सेना की तरफ से इस ख़बर का खंडन भी नहीं हुआ है.
इस मामले के जानकारी और बातचीत से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर चीन पैट्रोलिंग प्वाइंट 10 से पैट्रोलिंग प्वाइंट 13 तक इस बॉटलनेक एरिया के माध्यम से संपर्क बनाने में कामयाब रहता है तो इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा को भारतीय चौकी से भी आगे पश्चिम की तरफ बढ़ाने में चीन को कामयाबी मिल जाएगी. इससे भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई इलाक़ों में निगरानी नहीं रख पाएगा. इसका सबसे बड़ा ख़तरा यह होगा कि चीन की सेना भारत की रणनीतिक नज़र से अहम दौलत बेग हवाई पट्टी के बहुत क़रीब होगी.
प्रतीकात्मक तस्वीर2013 में भारत और चीन के बीच तनाव ख़त्म होने के बाद भारत ने इस इलाके में एक नया निगरानी का इलाक़ा तैयार किया था. यहां पर स्थाई तौर पर भारतीय सैनिक तैनात किए गए थे जिससे चीन भारत के इलाके में ना घुस सके, लेकिन 2015 इस व्यवस्था के बावजूद चीन के सैनिक क़रीब 1.5 किलोमीटर भारत की सीमा में घुस गए थे. 2019 में इस इलाके में चीन ने कम से कम 157 बार वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया है.