मुंबई. शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर कई सवाल खड़े किए हैं. सामना में लिखे लेख में राउत ने कहा है कि सुशांत की मौत डिप्रेशन की वजह से हुई. फिर भी कुछ डायरेक्टर सवाल खड़ा कर रहे हैं. अगर उनको पता था तो उन्होने बचाने के लिए क्या किया?
उन्होंने कहा कि चैनल सुशांत की खबर चला रहे हैं और वहीं नवी मुंबई में एक युवक ने नौकरी जाने की वजह से सुसाइड कर लिया, लेकिन उस पर कुछ नहीं हुआ. दरअसल सुशांत की मौत को मार्केटिंग की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.
संजय राउत ने कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद फिल्म इंडस्ट्री पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं. लेकिन सच ये है कि इन्हीं सबके बीच सुशांत को भी लोकप्रियता मिली. राउत ने लिखा है कि फिल्म इंडस्ट्री में कई कलाकार सिर्फ अपनी मेहनत के दम पर खड़े हैं. उन्होंने एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जिक्र किया है. साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि बॉक्स ऑफिस पर फिल्में सिर्फ परिवार देखकर नहीं चलती. शाहरुख और सलमान जैसे बड़े कलाकारों की फिल्में भी धराशायी हो जाती हैं.
संजय राउत ने अपने लेख में महाराष्ट्र में हुई दो आत्महत्याओं का जिक्र भी किया है. उन्होंने कहा कि ये दोनों आत्महत्याएं मीडिया में ज्यादा सुर्खियां नहीं बटोर पाईं, क्योंकि इनमें टीआरपी मसाला नहीं है. उन्होंने राजेश शिंदे और अमर पवार के सुसाइड का जिक्र किया है.
संजय राउत ने अपने लेख में लिखा है कि सुशांत सिंह राजपूत की बेहतरीन अदाकारी उन्होंने धोनी पर बनी फिल्म में देखी थी. राउत ने लिखा है कि बाला साहेब ठाकरे के बाद वो जॉर्ज फर्नांडिस पर भी एक फिल्म बनाने की सोच रहे थे. तब जिन दो तीन कलाकारों को लेकर जिक्र हुआ था, उनमें सुशांत सिंह राजपूत का भी नाम शामिल था.
संजय राउत ने लिखा है कि सुशांत सिंह राजपूत के पास वैभव, कीतिज़्, धन सबकुछ था, लेकिन वो खुद से हार बैठे. ऐसी सोच का इलाज बड़े से बड़े मनोवैज्ञानिक भी नहीं कर पाते हैं. संजय राउत ने इसके लिए मध्य प्रदेश के आध्यात्मिक गुरु भैय्यू जी महाराज का जिक्र भी किया है.
संजय राउत ने लिखा है कि सुशांत सिंह की मौत से संबंधित जांच में उन अभिनेत्रियों को पुलिस के सामने पेश होना पड़ रहा है, जिनका सुशांत से ब्रेक अप हो चुका था. ऐसी जांच पर उन्होंने सवाल उठाए हैं. संजय राउत ने साथ सुशांत की मौत के बाद मीडिया में चली कई खबरों का जिक्र भी अपने लेख में किया है.
संजय ने अपने लेख में लिखा है कि सुशांत की खुदकुशी के ये साइड इफेक्ट्स हैं. सिनेमा के पर्दे पर पहले स्पेशल इफेक्ट्स जैसी चीज होती थी. अब सुशांत इफेक्ट्स है. किसी को मौत के बाद भी सुकून से जीने नहीं देते हैं. सुशांत की प्रताडि़त आत्मा को भी डिप्रेसन आ जाए ऐसा ये मामला है. यह अब तो रुक जाना चाहिए!