मॉस्को. संविधान संशोधन पर हुई वोटिंग से साबित कर दिया है कि रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दबदबा आज भी कायम है. रूस में संविधान संशोधन के लिए जनमत संग्रह अभियान बुधवार को पूरा हो गया. करीब 60% वोटरों ने मतदान किया और ऐसा माना जा रहा है कि 76% जनता ने साल 2036 तक पुतिन के ही राष्ट्रपति बने रहने के पक्ष में वोट दिया है.
बता दें कि संविधान संशोधन के लिए ये वोटिंग ऑनलाइन कराई गई थी और ये 7 दिन तक चली. फिलहाल इसके नतीजे घोषित नहीं किये गए हैं लेकिन सरकारी एजेंसी वत्सोम के सर्वे में पुतिन को सविंधान संशोधन के लिए स्पष्ट बहुमत मिलता नज़र आ रहा है. इसके मुताबिक 76% लोगों ने संविधान में संशोधन का समर्थन किया है. वास्तविक नतीजे भी ऐसे ही रहे तो पुतिन मौजूदा कार्यकाल के बाद 6-6 साल के लिए फिर दो बार राष्ट्रपति बने रहेंगे. अगर ये संविधान संशोधन नहीं किया गया तो पुतिन का साल 2024 में कायर्काल ख़त्म हो जाएगा और वे फिर से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
जानकारों का मानना है कि पुतिन ने इस संशोधन को पास कराने और जनता का दिल जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. पुतिन ने कहा कि हम उस देश के लिए मतदान कर रहे हैं, जिसके लिए हम काम करते हैं और जिसे हम अपने बच्चों और पोते-पोतियों को सौंपना चाहते हैं. पुतिन जनवरी में संविधान में संशोधन का प्रस्ताव लाए थे. उसके बाद पुतिन के कहने पर प्रधानमंत्री दिमित्रि मेदवेदेव ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद पुतिन ने कम राजनीतिक अनुभव वाले मिखाइल मिशुस्टिन को पीएम बनाया था. 2008 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्ष के नेता एलेक्सेई नावालनी मंत्रियों के भ्रष्टाचार के मामले उजागर कर पुतिन को चुनौती दे रहे थे. तब चुनाव आयोग ने नावालनी को एक मामले में दोषी करार देकर उनकी उम्मीदवारी रोक दी थी.
बता दें कि पुतिन साल 2000 में सत्ता में आए थे और एक निजी सर्वे एजेंसी लेवाडा के मुताबिक अभी भी उनकी लोकप्रियता रेटिंग 60% है. चुनाव निगरानी समूह गोलोस ने आरोप लगाया है कि वोटिंग की ऑनलाइन प्रक्रिया संवैधानिक मानकों को पूरा नहीं करती. वोटिंग के लिए दबाव, मतपत्रों में गड़बड़ी, अधिकार के दुरुपयोग और अवैध प्रचार के मामले भी सामने आए हैं.