नई दिल्ली. कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 20 जुलाई से पूरे देश में लागू हो जाएगा होगा. नया कानून 34 साल पुराने सन 1986 के कानून का स्थान लेगा. नया उपभोक्ता संरक्षण कानून अपने कई नये अधिसूचित नियमों व प्रावधानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा.
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट कर बताया कि नये कानून से उपभोक्ताओं का अधिक सुरक्षा मिलेगी. बताया जा रहा है कि देशभर की उपभोक्ता अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित उपभोक्ता शिकायतों को हल करने के लिए भी इस अधिनियम का गठन किया गया है.
नए कानून में उपभोक्ता शिकायतों को तेजी से हल करने के तरीके और साधन दोनों का प्रावधान किया गया है. 24 दिसंबर 1986 को देश में पहला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 पारित किया गया था. साल 1993, 2002 और 2019 में संसोधन करते हुए इसे और प्रभावी बनाया गया है.
नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, मध्यस्थता, उत्पादों के लिए तय जिम्मेदारी और मिलावटी अथवा खतरनाक उत्पाद बनाने और बेचने पर सख्त कार्यवाही का प्रावधान, उपभोक्ताओं को अधिक सुरक्षा और अधिकार प्रदान करता है.
राम विलास पासवान ने बताया कि केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण बहुत जल्द काम शुरू कर देगा. यह अनुचित व्यापारिक गतिविधियों पर रोक लगाने हेतु सामूहिक कार्यवाही और नियमों को लागू कर उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षा देगा.
पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी. पहले के कानून में ऐसा नहीं था. नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉपिग कंपनियों को पहली बार शामिल किया गया है. खाने-पीने की चीजों में मिलावट तो कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान.
नये कानून के तहत कंज्यूमर मीडिएशन सेल का गठन भी किया गया है. दोनों पक्ष आपसी सहमति से मीडिएशन सेल जा सकेंगे. स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में एक करोड़ से दस करोड़ रुपये तथा नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में दस करोड़ रुपये से ऊपर केसों की सुनवाई. कैरी बैग के पैसे वसूलना, सिनेमा हॉल में खाने-पीने की वस्तुओं पर ज्यादा पैसे लेने वालों की शिकायत पर भी कार्यवाही होगी.