नई दिल्ली. भारतीय रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा काम की धीमी गति की वजह से चीनी फर्म के सिग्नलिंग और दूरसंचार से जुड़े 471 करोड़ रुपये के ठेके को कैंसिल कर दिया गया है. यह कार्य कानपुर और मुगलसराय के मध्य बने 417 किलोमीटर लंबे गलियारे पर किया जाना था. इस मामले को लेकर चीनी फर्म ने रेलवे को अदालत में घसीटने का फैसला किया है. चीनी कंपनी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
इस मामले पर गुरुवार को अदालत में सुनवाई की गई, हालांकि, इस मामले में अभी कोई फैसला नहीं आया है. वर्ल्ड बैंक, जो ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में फंडिंग कर रहा है, ने अभी तक टर्मिनेशन के लिए एनओसी सर्टिफिकेट नहीं दिया है. रेलवे ने वर्ल्ड बैंक की प्रतीक्षा नहीं करने और परियोजना को खुद ही फंड करने का निर्णय लिया है. DFCCIL के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने शुक्रवार को बताया कि, निरस्तीकरण का पत्र आज जारी किया गया है.
सचान ने आगे कहा कि बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एडं डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप को 14 दिन का नोटिस भेजने के पश्चात यह निरस्तीकरण पत्र जारी हुआ है. 2016 में इसी ग्रुप को 471 करोड़ रूपये का यह टेंडर दिया गया था.
अधिकारियों ने कहा कि चीनी कंपनी को इस प्रोजेक्ट से बाहर निकालने का कार्य जनवरी 2019 में शुरू हुआ था क्योंकि वह तय समयसीमा में काम नहीं कर पायी थी. उन्होंने कहा कि कंपनी तब तक केवल 20 फीसद ही काम कर पायी थी.