वाशिंगटन. पूर्व अमेरिकी राजनयिक रिचर्ड वर्मा ने भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाताओं को डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में करने के लिए एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर बिडेन नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत जाते हैं तो वह भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दिलाने में मदद करेंगे.
बता दें कि भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र की दूसरी संस्थाओं में सुधार पर जोर दे रहा है. भारत की दलील है कि इन संस्थाओं की वर्तमान संरचना वास्तविक परिस्थितियों से ना केवल बिल्कुल विपरीत है बल्कि इनमें पर्याप्त प्रतिनिधि भी नहीं हैं. वर्ष 2014 से 2017 तक भारत में अमेरिका के राजदूत रहे रिचर्ड वर्मा ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि बिडेन भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दिलाने में मदद करेंगे. वह दोनों देशों के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेंगे. इसका मतलब यह है कि वह सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर भी भारत का समर्थन करेंगे.
77 वर्षीय पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं. हालांकि इस पर औपचारिक मुहर अगस्त में होने वाले एक सम्मेलन में लगेगी. बिडेन तीन नवंबर के राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती देंगे.
भारतवंशियों के अच्छे दोस्त रहें पूर्व उपराष्ट्रपति
रिचर्ड वर्मा, बिडेन यूनिटी टास्क फोर्स की आर्थिक नीति सलाहकार सोनल शाह, पूर्व अमेरिकी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति और सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस एक्शन फंड की सीईओ नीरा टंडन ने एक वर्चुअल बैठक में कहा कि बिडेन का भारतीय मूल के अमेरिकियों का सबसे अच्छा दोस्त होने का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड रहा है. फिर चाहे वह डेलावेयर से सीनेट के सदस्य रहें हों या फिर उपराष्ट्रपति. वर्मा ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बिडेन एक अधिक समावेशी और सहिष्णु समाज का निर्माण करेंगे और अमेरिका-भारत के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.
आइए, बिडेन के सपने को सच करें
बिडेन ने 2006 में कहा था कि उनका सपना है कि भारत और अमेरिका दो सबसे निकटवर्ती राष्ट्र के तौर पर काम करें. अगर ऐसा होता है तो दुनिया सुरक्षित हो जाएगी. वर्मा ने कहा कि बिडेन ने यह सपना वर्ष 2006 में देखा था और आज 2020 है. चलो अब हम बिडेन के सपने को एक वास्तविकता में बदलते हैं. सोनल शाह ने कहा कि वह बिडेन को वोट देंगी, क्योंकि वह एक ऐसा देश चाहती हैं, जो उनके जैसे लोगों के लिए, उनके दोस्तों के लिए, सहयोगियों के लिए खुला रहे.