मुंबई. कोरोना महामारी की वजह से पिछले 4 महीनों में भारत के 6 करोड़ खुदरा व्यापारियों को लगभग 15.50 लाख करोड़ रुपए का भयंकर घाटा हुआ है. जिसमे से महाराष्ट्र के करीब 22 लाख व्यापारियों को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है. घरेलू व्यापार में इस हद तक उथल-पुथल हुई है कि लॉकडाउन खोलने के 45 दिनों बाद भी व्यापारी घोर वित्तीय संकट, कर्मचारियों और ग्राहकों की भारी कमी से बेहद परेशान है.
कोई सरकारी मदद नहीं
व्यापारी महासंघ ‘कैट’ का कहना है कि सरकार द्वारा व्यापारियों को कोई भी आर्थिक पैकेज नहीं दिए जाने से भी व्यापारी बेहद संकट की स्थिति में है. लॉकडाउन की शुरुआत में व्यापारियों ने खुले दिल से लोगों के लिए जरूरी वस्तु मुहैया कराई एवं फूड पैकेट्स बांटे, राशन बांटा, लेकिन आज आलम यह है कि खुद व्यापारी वर्ग इस सदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. इसके बावजूद व्यापारियों की मदद के लिए सरकार द्वारा कोई भी जरूरी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
फैल सकती है भारी बेरोजगारी
महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतिया ने कहा कि देश का घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. खुदरा व्यापार पर चारों तरफ से बुरी मार पड़ रही है. अगर तुरंत स्थिति को ठीक नहीं किया गया तो देश भर में बड़ी मात्रा में दुकाने बंद हो सकती है. जिससे देश में बेरोजगारों की संख्या में इजाफा होगा. भारी आर्थिक नुकसान के कारण करीब 20% दुकानें बंद होने की आशंका है.
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा असर
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा हमारे अनुमान के मुताबिक देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में लगभग 5 लाख करोड़ रुपए, मई में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपए और जून महीने में आंशिक तौर पर लॉकडाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ और जुलाई के दिनों में लगभग 2 लाख करोड़ के व्यापार का घाटा हुआ है. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है, क्योंकि यहां बार बार लॉकडाउन किया जा रहा है.
कोरोना का डर, बाजारों में सन्नाटा
कैट के मुंबई महानगर अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि चीनी वायरस कोरोना को लेकर लोगों के दिलों में डर बुरी तरह से बैठ गया है. जन परिवहन की उपलब्धता में अनेक परेशानियां हैं. इन सभी कारणों के चलते बाजारों में सन्नाटा पसरा है. विशेषकर महाराष्ट्र में लगातार लॉकडाउन घोषित किया जा रहा है और रोज दुकाने खोलने की अनुमति नहीं है. जिससे दुकानदार बेहद परेशान है.
व्यापारियों को “आत्मनिर्भर” बनने के लिए छोड़ा
खंडेलवाल ने कहा कि अभी तक व्यापारियों को केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा कोई भी आर्थिक पैकेज नहीं दिया गया. जिसके कारण व्यापार को पुनः जीवंत करना बेहद मुश्किल काम साबित हो रहा है. ऐसे में जबकि देशभर के व्यापारियों की देखरेख बेहद जरूरी थी तो सरकारों ने व्यापारियों को “आत्मनिर्भर” बनने के लिए छोड़ दिया है. इस समय व्यापारियों को ऋण आसानी से मिले इसके लिए एक मजबूत वित्तीय तंत्र को तैयार करना बेहद जरूरी है. व्यापारियों को करों के भुगतान में छूट और बैंक लोन ईएमआई आदि के भुगतान के लिए विशेष अवधि दिया जाना और उस अवधि पर बिना कोई ब्याज अथवा पेनल्टी लगाए जाने की भी जरूरत है. ताकि बाजार में आर्थिक तरलता आ सके और भारत का खुदरा व्यापार वापस अपनी पटरी पर आ सके.