तिरुवनंतपुरम. केरल सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को ढाई दशक पुराने जासूसी मामले के निपटारे के लिए 1.30 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया. राज्य पुलिस ने उन्हें इस मामले में फंसाया था. बता दें कि, पिछले साल दिसंबर महीने में केरल मंत्रिमंडल ने पूर्व इसरो वैज्ञानिक को 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मंजूरी दे दी थी.
79 वर्षीय नारायणन द्वारा तिरुवनंतपुरम में सत्र न्यायालय में 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया था. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था, इस मामले में उनकी गिरफ्तारी अनावश्यक थी और उन्हें फंसाया गया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये की अंतरिम राहत देने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना था कि नारायणन इससे ज्यादा के हकदार हैं और वे उचित मुआवजे के लिए निचली अदालत जा सकते हैं. वहीं, इससे पहले, राष्ट्र्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी उन्हें 10 लाख रुपये की राहत देने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केरल सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव के जयकुमार को इस मामले को देखने और एक सटीक मुआवजा राशि तय करने और मामले को निपटाने को कहा था.
इसके बाद, अदालत के समक्ष उनके सुझाव प्रस्तुत किए गए और एक समझौता किया गया. जासूसी के आरोप से सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किए गए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को पद्म भूषण (2019) से भी नवाजा गया. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस केस में वैज्ञानिक एस. नंबी नारायणन को केरल पुलिस द्वारा बेवजह गिरफ्तार किया गया था. उन्हें (नारायणन) परेशान किया गया और मानसिक प्रताडऩा दी गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, मुआवजे की राशि का चेक स्वीकार करते हुए नारायणन ने कहा कि मैं खुश हूं. मेरे द्वारा लड़ी गई लड़ाई धन के लिए नहीं है. मेरी लड़ाई अन्याय के खिलाफ थी. इसरो जासूसी मामला दो वैज्ञानिकों और दो मालदीवियन महिलाओं सहित चार अन्य लोगों द्वारा दुश्मन देशों को काउंटी के क्रायोजेनिक इंजन प्रौद्योगिकी के कुछ गोपनीय दस्तावेजों और रहस्यों के हस्तांतरण के आरोपों से संबंधित है. नंबी नारायणन के खिलाफ साल 1994 में दो कथित मालदीव के महिला खुफिया अधिकारियों को रक्षा विभाग से जुड़ी गुप्त जानकारी लीक करने का आरोप लगा था. नारायण को इस मामले में गिरफ्तार भी किया था.
इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था. इस सनसनीखेज मामले पर कई किताबें लिखी गईं और अभिनेता निर्देशक आर माधवन ने नारायणन पर एक बायोपिक भी बनाई, जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरण के साथ इन आरोपों के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ी. कोरोना वायरस महामारी के कारण फिल्म की रिलीज में देरी हुई है.