नई दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 3 महीनों के दौरान करीब 20 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले सामने आये हैं. बताया जा रहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही यानि अप्रैल-जून 2020 के दौरान देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ ये धोखाधड़ी हुई है. बैंकों से धोखाधड़ी के कुल 2,867 मामले सामने आए. सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से यह खुलासा हुआ है.
आरटीआई कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौड़ ने सूचना के अधिकार के तहत रिजर्व बैंक से यह जानकारी मांगी थी. देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक में संख्या के हिसाब से धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा मामले आए हैं. वहीं मूल्य के हिसाब से बैंक ऑफ इंडिया धोखाधड़ी से सबसे अधिक प्रभावित रहा.
आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून, 2020 में सावज़्जनिक क्षेत्र के 12 बैंको में एसबीआई में सबसे अधिक 2,050 धोखाधड़ी के मामले सामने आए. इन मामलों से जुड़ी राशि 2,325.88 करोड़ रुपए है. मूल्य के हिसाब से बैंक ऑफ इंडिया को धोखाधड़ी से सबसे अधिक चोट पहुंची. इस दौरान बैंक ऑफ इंडिया में 5,124.87 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 47 मामलों का पता चला.
इसके अलावा केनरा बैंक में 3,885.26 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 33, बैंक ऑफ बड़ौदा में 2,842.94 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 60, इंडियन बैंक में 1,469.79 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 45, इंडियन ओवरसीज बैंक में 1,207.65 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 37 और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 1,140.37 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 9 मामले सामने आए हैं.
इस दौरान दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक में 270.65 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं. हालांकि, बैंक के साथ धोखाधड़ी के मामलों की संख्या 240 रही.
अन्य बैंकों की बात की जाए, तो यूको बैंक में 831.35 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 130, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 655.84 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 149, पंजाब एंड सिंध बैंक में 163.3 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 18 और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 46.52 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 49 मामलों का पता चला.
रिजर्व बैंक ने अपने जवाब में कहा है कि बैंकों की ओर से दिए गए ये शुरुआती आंकड़े हैं. इनमें बदलाव या सुधार हो सकता है. रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया कि धोखाधड़ी से जुड़ी राशि का मतलब बैंक को इतनी ही राशि के नुकसान से नहीं है.