प्रयागराज – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 890 हेड कांस्टेबलों को पदावनत कर पीएसी में भेजे जाने के मामले में योगी सरकार को बड़ा झटका दिया है. हाईकोर्ट ने योगी सरकार के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है. दरअसल योगी सरकार के संशोधित आदेश को याचियों ने मानने से इंकार कर दिया है. संशोधित आदेश में पीएसी में ही प्रमोशन दिए जाने की बात कही गई है.
इसके बाद अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने आदेश पुर्नसंशोधित करने के लिए एक माह का समय मांगा है. अब इस मामले में एक माह बाद अगली सुनवाई होगी. बता दें हेड कांस्टेबल पारस नाथ पाण्डेय समेत सैकडों हेड कांस्टेबलों ने ये याचिका दाखिल की है.
याचिका में 9 सितम्बर 2020 और 10 सितम्बर 2020 को पारित आदेशों को चुनौती दी गई थी. डीआईजी स्थापना, पुलिस मुख्यालय, उप्र व अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय उप्र के इन आदेशों को चुनौती दी गई है.
इन आदेशों के कारण प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात 890 हेड कांस्टेबलों को पदावनत कर आरक्षी बना दिया गया है. वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने याची पुलिसकर्मियों का पक्ष रखा. जस्टिस अजय भनोट की एकल पीठ ने आदेश दिया.
बता दें इस मामले में पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की थी. सीएम योगी ने कहा था कि शासन को संज्ञान में लाए बिना इस तरह का आदेश कैसे जारी कर दिया गया? उन्होंने तत्काल इसमें सुधारने का आदेश दिया था.
दरअसल सिर्फ ड्यूटी के लिए सिविल पुलिस में भेजे गए 932 पीएसी जवानों को जुगाड़ और सेटिंग से पुलिस के कोटे में ही प्रमोशन दे डाला. पीएसी के ही एक जवान ने हाई कोर्ट में याचिका डाली तो मामला खुला. इन 932 में से 14 रिटायर हो चुके हें. बाकी 896 के प्रमोशन निरस्त कर 22 आरक्षी समेत सभी को मूल संवर्ग पीएसी में आरक्षी के पद पर वापस कर दिया गया है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में पीएसी के आरक्षी जितेंद्र कुमार ने अपना प्रमोशन नागरिक पुलिस में मुख्य आरक्षी पद पर न होने पर हाई कोर्ट में 2019 में याचिका दायर की. मामले में प्रमोशन पाए पीएसी के ही सुनील कुमार यादव, दिनेश कुमार चौहान और देव कुमार सिंह का उल्लेख किया गया. मामले में डीजीपी ने 4 सदस्यीय समिति बनाकर जांच कराई तो रिपोर्ट में सारा खेल उजागर हो गया.