लखनऊ. हाथरस मामले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो लोग समाज को जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर विभाजित करते रहे हैं, वे अब भी कर रहे हैं. वे विकास नहीं देख सकते हैं और इसलिए वे नए षड्यंत्र रच रहे हैं. एक व्यक्ति की मौत पर राजनीति करने वालों को पहचानना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हम किसी की भी साजिश को सफल नहीं होने देंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार की एजेंसियों को जानकारी मिली है कि हाथरस हादसे के बहाने उत्तर प्रदेश में जातीय दंगा भड़काने के लिए विदेशों से भी करोड़ों का फंड जुटाया गया. इस सूचना के बाद प्रवर्तन निदेशालय सक्रिय हो गया है. साजिशकर्ताओं के देश-विदेश के कनेक्शनों को खंगालने की तैयारी है. प्रवर्तन निदेशालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज कर जांच तेज करने का निर्णय लिया है.
सूत्रों के अनुसार नागरिकता कानून के विरोध में सक्रिय संगठनों ने हाथरस हादसे के बहाने बेवसाइट के जरिए फंड जुटाया ताकि आंदोलन को लंबे समय तक चलाकर उसे हिंसक रूप दिया जा सके. प्रवर्तन निदेशालय की जांच से उन नामों के खुलासे की उम्मीद है जिनके नाम विदेशों और देश के कई हिस्सों से फंड आए. इस बाबत प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू कर दी है.
वहीं उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दलित समुदाय की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिन का और समय दिया गया है. इधर पीड़िता के घर एसआईटी की टीम पहुंची है. बताया जा रहा है कि परिवार से कॉल रिकॉर्ड पर पूछताछ की जा सकती है.
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बुधवार को बताया कि एसआईटी को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिन का और समय दिया गया है. अतिरिक्त समय दिए जाने की वजह के बारे में पूछने पर अवस्थी ने बताया “इसका एक ही कारण है और वह यह, कि अभी जांच पूरी नहीं हो पाई है.
गौरतलब है कि हाथरस में एक दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी मौत के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने पिछली 30 सितंबर को एसआईटी का गठन किया था. उस वक्त उसे अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए सात दिन का समय दिया गया था. यह अवधि आज समाप्त हो रही है. हाथरस मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां खासी तेज हैं. इस मुद्दे को लेकर तमाम विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है. राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की भी सिफारिश की है.