गाजियाबाद. गाजियाबाद के लोनी में वायु प्रदूषण फैलाने के कारण अधिकारियों ने धातु पिघलाने वाली 42 अवैध फैक्ट्रियों को जमींदोज कर दिया है. जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने बताया कि एनजीटी के आदेश पर यह कदम उठाया गया.
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को अमर विहार कॉलोनी में इकाइयों को नष्ट किया गया. दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए 15 अक्टूबर से क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना लागू की गई है. इस बीच नोएडा प्राधिकरण ने शनिवार को बताया कि उसने वायु प्रदूषण रोधी दिशा-निर्देशों एवं नियमों का उल्लंघन करने के कारण विभिन्न निजी ठेकेदारों एवं प्रतिष्ठानों पर 11,15,000 रुपए का जुर्माना लगाया है.
दिल्ली की वायु गुणवत्ता शनिवार को खराब श्रेणी में दर्ज की गयी और वातावरण में कुल पीएम 2.5 कणों में से 19 प्रतिशत पराली जलाने की वजह से आए हैं, जो पहले के मुकाबले बढ़ गए हैं. प्रदूषण तत्वों में पीएम 2.5 के कुल कणों में से शुक्रवार को 18 प्रतिशत पराली जलाने के कारण आए, जबकि बुधवार को करीब एक प्रतिशत और मंगलवार, सोमवार तथा रविवार को करीब तीन प्रतिशत कण पराली जलाने के कारण वातावरण में आए थे. शहर में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 286 दर्ज किया गया.
वहीं शुक्रवार को यह 239, बृहस्पतिवार को 315 दर्ज किया गया जो इस वर्ष 12 फरवरी के बाद से सबसे ज्यादा खराब है, तब एक्यूआई 320 था. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब और 401 और 500 के बीच गंभीर माना जाता है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर-पश्चिमी हवाएं चल रही हैं और पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषक तत्वों को अपने साथ ला रही है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एवं मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली के अनुसार हरियाणा, पंजाब और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित क्षेत्रों में शनिवार को पराली जलाने की 882 घटनाएं हुईं. इसमें बताया गया कि पीएम 2.5 प्रदूषक तत्वों में पराली जलाने की हिस्सेदारी शनिवार को करीब 19 प्रतिशत रही.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने कहा है कि वायु संचार सूचकांक शनिवार को 10,000 वर्गमीटर प्रति सेकेंड रहा जो प्रदूषक तत्वों के छितराव के लिए अनुकूल है. वायु संचार सूचकांक छह हजार से कम होने और औसत वायु गति दस किमीप्रति घंटा से कम होने पर प्रदूषक तत्वों के छितराव के लिए प्रतिकूल स्थिति है. प्रणाली की ओर से कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता पर पराली जलाने का प्रभाव सोमवार तक काफी बढ़ सकता है.
अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इस मौसम में अब तक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं अधिक हुई हैं, जिसकी वजह है धान की समयपूर्व बुवाई और कोरोना वायरस महामारी के कारण खेतों में काम करने वाले श्रमिकों की अनुपलब्धता.