पेरिस. फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद साहब के कार्टून विवाद में एक टीचर का सिर कलमकर हत्या करने के बाद देश में लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है. फ्रांस के शहर मोंटपेल्लियर और टाउलुस में दिवंगत शिक्षक को श्रद्धांजलि देने के लिए कई होटलों की दीवारों पर शार्ली हेब्दो के बनाए पैगंबर के विवादित कार्टून को प्रोजेक्टर पर दिखाया जा रहा है. यही नहीं इसकी सुरक्षा के लिए शहर में बड़े पैमाने पर हथियारबंद पुलिस को तैनात किया गया है.
फ्रांस के ओस्सिटनेई इलाके की अध्यक्ष केरोल डेल्गा ने बुधवार को ट्विटर पर कार्टून को दिखाने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि शिक्षक सैमुअल पैटी को श्रद्धांजलि देने के लिए दिखाया जाएगा. इससे पहले 16 अक्टूबर को फ्रांस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाते समय अपने छात्रों को मोहम्मद साहब का कार्टून दिखाने पर सैमुअल पैटी की चेचेन मूल के इस्लामी आतंकी ने गला काटकर हत्या कर दी थी.
डेल्गा ने अपने इस फैसले का बचाव करते हुए कार्टून को दिखाए जाने का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि यह एक ‘मजबूत कदम’ है जो हमारे गणराज्य के मूल्यों को दर्शाता है. डेल्गा ने कहा कि इस प्रतीकात्मक कदम से इतर मैं अपने साथी नागरिकों को यह संदेश देना चाहती हूं कि धर्मनिरपेक्षता, अभिव्यक्ति की आजादी और अंतरात्मा की आजादी के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. यह हमारे गणराज्य के मॉडल की जान है.’
डेल्गा ने कहा कि लोकतंत्र के दुश्मनों के सामने कमजोर नहीं होना है. उनके सामने कमजोर नहीं होना है जो धर्म को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. ऐसे लोग जिनका इस गणराज्य को बर्बाद करने के लिए राजनीतिक उद्देश्य है. फ्रांस के होटलों पर ईसा मसीह और अन्य धर्मों के प्रमुख लोगों के कार्टून को भी दिखाया जा रहा है. इससे पहले वर्ष 2015 में शाली एब्दो कार्टून को लेकर फ्रांस में काफी बवाल हुआ था और इसमें 12 लोगों की मौत हो गई थी.
इस बीच फ्रांसीसी सरकार भी देश से इस्लामी कट्टरपंथ को मिटाने के लिए ऐक्शन में है. पूरे देश में पुलिस और कानून प्रवर्तक एजेंसियां लगातार छापेमारी कर रही हैं. बड़ी संख्या में संदिग्ध लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. इस बीच फ्रांसीसी सरकार ने एक इस्लामिक समूह पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा भी की है. फ्रांसीसी सरकार के प्रवक्ता गेब्रियल अटाल ने बुधवार को कहा कि एक स्कूली शिक्षक की हत्या के बाद फलस्तीनी नेता शेख यासीन के नाम पर रखे गए एक इस्लामी समूह को प्रतिबंधित कर दिया है.
उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा, संस्कृति और शिक्षा को लेकर लड़ाई है. प्रतिबंधित समूह का नाम फिलिस्तीनी मुस्लिम नेता और हमास आंदोलन के सह-संस्थापक शेख यासन के नाम पर रखा गया है. उनकी 2004 में हत्या कर दी गई थी. फिलिस्तीन में सक्रिय आतंकी संगठन हमास ने फ्रांसीसी समूह के साथ किसी भी संबंध से इनकार किया है. शिक्षक की गला काटकर हत्या करने के बाद फ्रांस में फिर से एक बार धार्मिक आजादी को लेकर बहस छिड़ गई है.
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने इसे इतिहास की हत्या करार दिया था. उन्होंने कहा था कि आतंकी ने देश के गणतंत्र के खिलाफ हमला किया है. उन्होंने कसम खाई थी कि ये लोग फ्रांस को विभाजित नहीं कर पाएंगे. इसके बाद से ही पूरे देश में धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ छापेमारी शुरू की गई थी. 16 अक्टूबर को फ्रांस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाते समय अपने छात्रों को मोहम्मद साहब का कार्टून दिखाने पर एक शिक्षक की इस्लामी आतंकी ने गला काटकर हत्या कर दी थी. दावा किया जा रहा है कि 18 साल के इस आतंकी ने इतिहास के एक शिक्षक पर हमला करने से पहले अल्लाहू-अकबर का नारा लगाया था.
फ्रांस के गृहमंत्री गेराल्ड दरमेनिन ने कहा है कि स्कूली छात्रा के पिता और कुख्यात इस्लामिक उग्रवादी ने फांसीसी टीचर के हत्या का आह्वान किया था. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि टीचर के खिलाफ ‘फतवा’ जारी किया गया था. बताया जा रहा है कि आतंकी रूस के चेचेन्या का रहने वाला था. जिसके बाद से रूसी खुफिया एजेंसी और पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही हैं. चेचेन्या रूस के कब्जे वाला अशांत इलाका है. जहां इस्लामी आतंकी आए दिन रूसी फौज के साथ छापामार युद्ध लड़ते रहते हैं. इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए भारी संख्या में रूसी जवान हमेशा तैनात रहते हैं.