लखनऊ. अयोध्या में जमीन खरीद का एक और विवाद सामने आया है. आरोप है कि 20 लाख की जमीन को राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को 2.5 करोड़ में बेचा गया. खबरों के मुताबिक, सिर्फ तीन महीने के भीतर बीस लाख की जमीन ढाई करोड़ में बेची गई है. शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसको लेकर एक ट्वीट किया है. वहीं आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर निशाना साधा.
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, हर दिन अयोध्या में भूमि खऱीद के नए तथ्य सामने आ रहें हैं. 2 करोड़ की ज़मीन 18.5 करोड़ में डीलर से खऱीदने के बाद अब मेयर के भांजे से 20 लाख की ज़मीन 2.50 करोड़ में ट्रस्ट ने खऱीदी. श्रद्धालुओं का पैसा राम लल्ला के भव्य मंदिर का है, मनमानी के लिये नहीं.
क्या हैं आरोप?
महंत देवेंद्र प्रसाद 20 लाख रुपये में दीपनारायण उपाध्याय को जमीन बेचते हैं. 20 फरवरी 2021 को ये सौदा होता है, गवाह के तौर पर वेद नारायण पांडे और पवन तिवारी मौजूद होते हैं. इसके बाद दीपनारायण उपाध्याय राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट को ये जमीन 2.5 करोड़ रुपये में बेचते हैं. ये सौदा 11 मई 2021 को होता है और गवाह के तौर पर अनिल मिश्रा (राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट के सदस्य) और राजकुमार दास होते हैं. जमीन 890 वर्ग मीटर की है. करीब 12 गुणा अधिक कीमत पर जमीन बेची गई.
आम आदमी पार्टी ने क्या कहा?
आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि प्रभु श्रीराम के मंदिर के लिए करोड़ों रामभक्त चंदा दे रहे हैं. अपना पेट काटकर लोग प्रभु श्रीराम के लिए चंदा दे रहे हैं. लेकिन उस मंदिर के निर्माण में अगर रोक लगी है तो बीजेपी नेताओं की चंदा चोरी की वजह से और यही बात मैं कई दिनों से कह रहा हूं. बीजेपी के नेता चंदा चोरी कर रहे हैं, भ्रष्टाचार कर रहे हैं. ये जमीन खरीदी है भारतीय जनता पार्टी के मेयर ऋषिकेष उपाध्याय के भतीजे दीपनारायण उपाध्याय ने. ये जमीन 20 फरवरी को खरीदी गई और इस जमीन की कीमत है बीस लाख रुपये, आपको जानकर हैरानी होगी कि 11 मई को यही जमीन मेयर के भतीजे ने 2.5 करोड़ रुपये में राम जन्मभूमि ट्रस्ट को बेची.
समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अयोध्या में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम शुरू कर दिया है. वहां बीजेपी के जो मेयर हैं उनके भांजे एक जमीन बीस लाख रुपये में खरीदते हैं और तीन महीने बाद उसी जमीन को 2.5 करोड़ रुपये में ट्रस्ट को बेच देते हैं. मतलब 12 गुणा फायदा कमाते हैं. इसकी जांच होनी चाहिए, क्योंकि ये आस्था में चोरी का मामला है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच बैठे और तथ्य जनता के सामने आए.