Sunday , April 21 2024
Breaking News

सीजेआई रमना ने कानून मंत्री को लिखा पत्र, कहा- ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ाया जाए डिजिटल नेटवर्क

Share this

नई दिल्ली. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने ग्रामीण, आदिवासी, दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में कमजोर डिजिटल कनेक्टिविटी पर चिंता जताई और इसे दूर करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे न्याय देने की गति प्रभावित हो रही है. इसे दूर करने के लिए उन्होंने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखा है.

प्रौद्योगिकीय असमानता के कारण वकीलों की एक पूरी पीढ़ी व्यवस्था से बाहर

डिजिटल खाई का उल्लेख करते हुए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) ने पत्र में कहा कि प्रौद्योगिकीय असमानता के कारण वकीलों की एक पूरी पीढ़ी व्यवस्था से बाहर हो रही है. यह बात उन्होंने पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन द्वारा लिखित पुस्तक एनामलीज इन लॉ एंड जस्टिस के वर्चुअल विमोचन समारोह में कही. सीजेआइ ने कहा कि कानून, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री से डिजिटल खाई को पाटने के लिए प्राथमिकता के साथ कदम उठाने और उन युवा वकीलों की मदद करने के लिए एक तंत्र विकसित करने का अनुरोध किया है, जो कोरोना महामारी के कारण आजीविका खो चुके हैं. उन्हें वित्तीय सहायता की सख्त जरूरत है.

कानूनी पेशेवरों को भी घोषित किया जाए फ्रंटलाइन वर्कर

उन्होंने कानूनी पेशेवरों और इससे जुड़े लोगों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर’ घोषित करने और उन सभी को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाने पर जोर दिया. सीजेआइ ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से न्यायमूर्ति रवींद्रन ने सरल शब्दों में कानून में विभिन्न कमियों को दूर करने की आवश्यकता जताई है, ताकि आम आदमी न्यायपालिका और कानूनी व्यवस्था में विश्वास न खोए.
इस मौके पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरसी लाहोटी ने हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति की आयु सभी के लिए बढऩी चाहिए, लेकिन यह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए समान होनी चाहिए. पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया, पूर्व न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्ण और वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार भी शामिल हुए.

Share this
Translate »