नई दिल्ली. पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से परेशान लोगों के लिए अच्छी खबर है जुलाई महीने के अंत तक दोनों के दाम अपने रिकार्ड स्तर से नीचे आ सकते हैं. हालांकि कीमतों में केवल दो से तीन रुपये की कमी ही देखने को मिल सकती है. जिसके बाद भी कई जगहों पर पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के आसपास ही बनी रह सकती है. इन कीमतों में कमी की वजह ब्रेंट क्रूड का दाम 75 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर होना है, जो इस महीने की शुरुआत में 77 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर तक पहुंच गया था.
पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अनुसार, अभी तक कच्चे तेल के उत्पादन की सीमा को लेकर पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों के संगठन ओपेक और उनके सहयोगी देशों के बीच सहमति नहीं बन सकी है. ऐसे में कारोबारी बाजार में ज्यादा कच्चे तेल की आपूर्ति का अनुमान लगा रहे हैं, जिससे एक बार फिर कीमतें नीचे जा रही हैं.
भारत में पेट्रोल-डीजल का मानक अंतरराष्ट्रीय जिंस के एक समान ग्रेड के मुताबिक तय होता है. भारत की तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत 15 दिन पहले की कीमतों के मुताबिक तय करती हैं. ऐसे में अगर अंतरराष्ट्रीय दामों में आज गिरावट आती है तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक सप्ताह के बाद गिरावट आती है. कीमतों की वृद्धि के मामले में भी इसी नियम का पालन किया जाता है.
एसोसिएशन के अनुसार, भारत में पेट्रोलियम उत्पादों का खुदरा बिक्री मूल्य वैश्विक दामों के संकेतकों से जुड़ा हुआ होता है. कच्चे तेल के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय मार्कर ब्रेंट का कारोबार सोमवार को 74 डॉलर प्रति बैरल पर हुआ. भारत के बॉस्केट के कच्चे तेल की कीमत जिस भाव पर भारत की रिफाइनरी कच्चा तेल खरीदती हैं, 73.99 डॉलर प्रति बैरल रहा. तुलनात्मक रूप से भारतीय बॉस्केट का औसत मूल्य जून में 71.63 डॉलर प्रति बैरल रहा है.
दिल्ली में ट्रैक्स की स्थिति के हिसाब से देखें तो कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर प्रति बैरल के बदलाव से पेट्रोल के दाम पर 60 पैसे प्रति लीटर और डीजल के दाम पर 55 पैसे प्रति लीटर का असर पड़ता है. विनिमय दरों में एक रुपये की कमी आती है तो दिल्ली में पेट्रोल पर 65 पैसे और डीजल पर 60 पैसे का असर पड़ता है. भारतीय रुपया एक जुलाई, 2021 से कमोबेश 74.55 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर पर स्थिर रहा है. यह सात जुलाई को 74.82 डॉलर पर पहुंचा और उसके बाद सोमवार को 74.60 रुपये पर पहुंच गया है.