शहरी जिंदगी में सुबह सुबह ब्रेड खाना बहुत ही आम बात है. इसके अलावा मैदे का पराठा, पूरी, कुल्चा, नान आदि भी लोग खाना पसंद करते हैं. आपका पता ही होगा कि पिज्जा, बर्गर, मोमोज, बिस्किट आदि बनाने के लिए भी मैदे का प्रयोग किया जाता है जो कहीं ना कहीं हमारी सेहत को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. ऐसे में अगर आप भी मैदे का प्रयोग अपने भोजन में करते हैं तो इसके बारे में जानकारी होना बहुत ही जरूरी है. आइए यहां बताते हैं कि मैदा हमारी सेहत को कितना नुकसान पहुंचाते हैं.
दरअसल आटा और मैदा दोनों ही गेहूं से बनते हैं लेकिन दोनों को बनाने का प्रोसेस अलग अलग होता है. दरअसल आटा बनाते समय गेहूं की ऊपरी छिलके को निकाला नहीं जाता जो एक बेहतरीन डाइटरी फाइबर होता है. यह हमारे शरीर के लिए एक बहुत ही जरूरी तत्व होते हैं जबकि मैदा बनाने की प्रक्रिया में आटे को और अधिक महीन पीसा जाता है और फाइबर को हटा दिया जाता है. जिससे कोई पोषक तत्व और डाइटरी फाइबर इसमें नहीं बच पाते.
दरअसल डाइटरी फाइबर के अभाव में मैदा बहुत चिकना और महीन हो जाता है जिससे आंतों में यह चिपकने लगता है. इस वजह से कब्ज की समस्या भी हो सकती है और इनडाइजेशन का कारण भी यह बन सकता है.
कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है
मैदा में अत्यधिक मात्रा में स्टार्च होता है जिसके सेवन से मोटापा की संभावना बढ जाती है और धीरे धीरे बैड कलेस्ट्रॉल और ब्लड में ट्राइग्लीसराइड का स्तर भी बढ़ने लगता है. ऐसे में अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं और कोलेस्ट्रॉल नहीं बढाना चाहते तो मैदा खानें से बचें.