नई दिल्ली. देश के स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. उन्होंने शनिवार को अपने इवेंट के फाइनल में 87.58 मीटर दूर भाला फेंका और ट्रैक एंड फील्ड एथलेटिक्स में देश को ओलंपिक का पहला सोने का तमगा दिलाया. उन्होंने अपने इस गोल्ड मेडल को फ्लाइंग सिख से मशहूर महान धावक मिल्खा सिंह को समर्पित किया. मिल्खा का हाल में घातक कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद निधन हो गया था.
आर्मी मैन नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर भारत को जश्न मनाने का मौका दिया. उन्होंने स्वर्ण पदक जीतने के बाद तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर लगाया और इसका जश्न मनाया.यह टोक्यो ओलंपिक में भारत का पहला और व्यक्तिगत स्पर्धा में ओलंपिक गेम्स का ओवरऑल दूसरा गोल्ड मेडल है. नीरज से पहले दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने 2008 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था
हरियाणा के पानीपत में रहने वाले नीरज ने पदक जीतने के बाद कहा, मैं अपने इस गोल्ड मेडल को महान मिल्खा सिंह को समर्पित करता हूं. मैंने स्वर्ण पदक जीतने के बारे में सोचा तो नहीं था, लेकिन कुछ अलग करना चाहता था. मैं जानता था कि आज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा. मैं ओलंपिक गेम्स का रिकॉर्ड तोड़ना चाहता था.
नीरज ने पदक जीतने के बाद कहा, मैं अपने इस गोल्ड मेडल को महान मिल्खा सिंह को समर्पित करता हूं. शायद मुझे स्वर्ग से देख रहे होंगे. मैंने स्वर्ण पदक जीतने के बारे में सोचा तो नहीं था, लेकिन कुछ अलग करना था. मैं जानता था कि आज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा. मैं ओलंपिक गेम्स का रिकॉर्ड तोड़ना चाहता था, बस शायद इसी की वजह से.
उन्होंने आगे कहा कि वह पदक के साथ मिल्खा सिंह से मिलना चाहते थे. उन्होंने साथ ही उड़न परी’ पीटी उषा और उन एथलीटों को यह मेडल समर्पित किया जो ओलंपिक पदक जीतने के करीब पहुंचे लेकिन कामयाब नहीं हो पाए. नीरज ने आगे कहा कि जब राष्ट्रगान बज रहा था और भारतीय तिरंगा ऊपर की ओर जा रहा था, वह रोने वाले थे.