उज्जैन. उज्जैन के महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण के लिए चल रही खुदाई के दौरान मंगलवार को शिवलिंग निकला है. फिलहाल प्रशासन ने इस शिवलिंग को चादर से ढांक दिया है. आगे की खुदाई पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में शुरू की जाएगी. उसके बाद शिवलिंग बाहर निकाला जाएगा.
महाकाल मंदिर कैंपस के विस्तारीकरण के लिए एक साल से चल रही खुदाई में 11 वीं शताब्दी के 1000 साल पुराने परमार कालीन मंदिर का ढांचा सामने आया था. उसके बाद भोपाल से आयी पुरातत्व विभाग की टीम की देख रेख में खुदाई चल रही है. काम आगे बढ़ा तो उसमें परमार कालीन वास्तुकला का बेहद खूबसूरत मंदिर निकला था.
आगे की तरफ चल रही खुदाई के दौरान एक बड़े शिवलिंग का भाग भूगर्भ में दिखाई दिया. धीरे-धीरे खोदा गया तो शिवलिंग की पूरी जिलहरी बाहर आ गई. इसकी सूचना मंदिर प्रशासन के अधिकारियों को मिली तो उन्होंने खुदाई वाले स्थान पर पहुंच कर फिलहाल शिवलिंग को चादर से ढांक दिया. इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी दुर्गेंद्र सिंह जोधा को दी गयी है. इस स्थान पर अब आगे पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में खुदाई कर शिवलिंग निकाला जाएगा.
पुरातत्व अधिकारी रमेश यादव ने बताया कि आज टीम के सदस्य उज्जैन पहुचंगे उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा. 30 मई को महाकाल मंदिर के आगे के भाग में खुदाई के दौरान माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड सहित कई पुरातत्व अवशेष मिले थे. उन पर पुरातत्व विभाग का शोध जारी है. महाकाल मंदिर विस्तारीकरण खुदाई में निकले 11 वीं शताब्दी के 1000 वर्ष पुराने परमार कालीन मंदिर का ढांचा पूरा साफ़ साफ बाहर दिखाई देने लगा था.
माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड मिलने की जानकारी जैसे ही संस्कृति विभाग को लगी थी उन्होंने तुरंत पुरातत्व विभाग भोपाल की एक चार सस्दय टीम को उज्जैन महाकाल मंदिर में अवलोकन के लिए भेजा था. टीम ने बारीकी से मंदिर के उत्तर भाग और दक्षिण भाग का निरक्षण किया. टीम को लीड कर रहे पुरातत्वीय अधिकारी डॉ रमेश यादव ने बताया था कि ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी का मंदिर नीचे दबा हुआ है जो उत्तर वाले भाग में है. दक्षिण की तरफ चार मीटर नीचे एक दीवार मिली है जो करीब करीब 2100 साल पुरानी हो सकती है