अमृतसर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अमृतसर में जलियांवाला बाग के नए स्वरूप का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उद्घाटन किया. मोदी ने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, पंजाब की वीर भूमि को, जलियांवाला बाग की पवित्र मिट्टी को मेरा प्रणाम. मासूम बालक-बालिकाएं, बहनें, भाई जिनके सपने आज भी जलियावाला बाग की दीवारों पर अंकित गोलियों के निशानों में मिलते हैं. उन सभी को आज हम याद कर रहे हैं.
जलियावाला बाग वह जगह है, जिसने सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह जैसे बलिदानियों को हिंदुस्तानी की आजादी के लिए मर मिटने का हौसला दिया. 13 अप्रैल 1919 के वो 10 मिनट, हमारी आजादी के चिरगाथा बन गए. जिसके कारण हम आजादी का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं
यहां की पवित्र मिट्टी को माथे पर लगाने का सौभाग्य मिला
13 अप्रैल 1919 के वो 10 मिनट, हमारी आजादी के चिरगाथा बन गए. जिसके कारण हम आजादी का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं. ये मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे यहां की पवित्र मिट्टी को माथे पर लगाने का मौका मिला है. जलियावाला बाग नरसंहार से पहले इस स्थान पर पवित्र बैसाखी के मेले लगते थे. इसी दिन गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी.
यहां तक पहुंचने के लिए हमारे पूर्वजों ने क्या-क्या किया है. कितना त्याग, अनगिनत संघर्ष, राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य क्या होने चाहिए. कैसे हमें अपने काम में देश को सर्वोपरि रखना चाहिए. इसकी प्रेरणा नई ऊर्जा के साथ इसी जगह से मिलेगी. हर राष्ट्र का दायित्व होता है कि वह अपने इतिहास को संजोकर रखे. जलियावाला बाग जैसी एक और विभिषिका हमने भारत विभाजन के समय भी देखी. विभाजन के समय जो कुछ हुआ उसकी पीड़ा आज भी हिंदुस्तान के हर कोने में खासकर पंजाब के परिवारों में हम अनुभव करते हैं.
विभाजन विभीषिका दिवस आजादी की कीमत याद दिलाएगा
विभाजन विभीषिका दिवस आने वाली पीढिय़ों को यह याद दिलाएगा कि कितनी कीमत दिलाकर हमें स्वतंत्रता मिली. वे उस दर्द को समझ सकेंगे. गुरुबानी हमें सिखाती है कि सुख दूसरों की सेवा से ही आता है. हम सुखी तभी होते हैं, जब हम अपने साथ साथ अपनों की पीड़ा को भी अनुभव करते हैं. इसीलिए, आज दुनियाभर में कोई भी भारतीय संकट में घिरता है, तो भारत उसकी मदद के लिए खड़ा होता है. कोरोना हो या अफगान संकट, दुनिया ने इसे अनुभव किया है. ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से सैकड़ों भारतीयों को लाया जा रहा है.
देश के लिए आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास जरूरी
बीते वर्षों में देश ने अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए जीजान से प्रयास किया. मानवता की जो सीख हमें गुरुओं ने दी थी, उसे सामने रखकर सताए अपने लोगों के लिए नए कानून भी बनाए हैं. आज जिस तरह के हालात बन रहे हैं, एक भारत श्रेष्ठ भारत के क्या मायने हैं. ये घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि राष्ट्र के तौर पर आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास जरूरी है.
अमृत महोत्सव में आज गांव गांव में सेनानियों को याद किया जा रहा है. देश में जहां भी आजादी के महत्वपूर्ण पड़ाव हैं, उन्हें सामने लाने के लिए प्रयास हो रहे हैं. जलियावाला बाग की ही तरह ही आजादी से जुड़े दूसरे स्थानों का नवीनीकरण किया जा रहा है.
शहीदों के परिवार जलियांवाला बाग पहुंचे
जलियांवाला बाग गोलीकांड में जान गंवाने वाले शहीदों के परिवार इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे. परिवारों से सबसे पहले बाग में बने शहीद समारक को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की. शहीदों के परिवारों के लिए यहां एक पंडाल सजाया गया था.