लखनऊ. 2022 में उत्तर प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव होने है, जिसमें अब छह महीने से भी कम समय बचा है. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. तो वहीं, विधानसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव लगातार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साध रहे हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर कोरोना वायरस वैक्सीन को बीजेपी का टीका बताया है.
इतना ही नहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा राज में उत्तर प्रदेश की जनता कोरोना महामारी, श्रमिक पलायन और बढ़ती बेरोजगारी का बुरी तरह शिकार रही है. मंहगाई, बिजली संकट और चिकित्सा क्षेत्र की बदहाली से लोग त्रस्त हैं. जनसामान्य को इन परेशानियों से रोजाना जूझना पड़ रहा है, लेकिन बीजेपी सरकार को इसकी कतई चिंता नहीं है. बीजेपी झूठे वादों से भ्रमित करती है और साजिशन जनहित से इतर मुद्दों को हवा देती है. उन्होंने कहा कि भाजपा के राजनीतिक स्वार्थसाधन का एजेंडा वैक्सीनेशन को भी ‘इवेंट’ बना देना है.
अखिलेश यादव ने पूछा कि पीएम के जन्मदिन को ‘विकास उत्सव’ बनाकर भाजपा कौन संदेश देना चाहती है? शुरू से ही भाजपा की नीयत राजनीतिक स्वार्थपूर्ति की दिखाई दी है. वैक्सीनेशन को भी भाजपाई रंग देने के लिए प्रधानमंत्री की फोटो लगाई जा रही है. यह वैक्सीनेशन अभियान तो कोविड संक्रमण से बचाव के लिए राष्ट्रीय अभियान के रूप में चलाने की बात थी तो उसमें राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाता तो इसकी गरिमा बढ़ती. विश्व के किसी भी देश में वैक्सीनेशन के अभियान में वहां के प्रधानमंत्री या राष्ट्राध्यक्ष का चित्र नहीं लगा फिर भारत में यह नया खेल किस राजनीतिक उद्देश्य से किया जा रहा है?
भाजपा ने वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई वैक्सीन को शुरुआत में ही भाजपाई रंग देने और उसका श्रेय भाजपा नेतृत्व ने लेने का नियोजित प्रयास किया था. भाजपा इस अपनी वैक्सीन क्यों बताती है? भाजपा ने तब अपनी आदत के अनुसार बात का बतंगड़ बना दिया था. यह जनता के पैसे की वैक्सीन है. देश में जब 2.5 करोड़ प्रतिदिन वैक्सीन लगने की क्षमता है तो रोज लगती क्यों नहीं? इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार के समय बने लोकभवन, इकाना स्टेडियम, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, कैंसर अस्पताल, मेट्रो रेल, लोहिया आवास आदि किए गए विकासकार्यों में समाजवादी सरकार के तत्कालीन सीएम ने अपने चित्र नहीं लगवाए थे. भाजपा की राजनीतिक शुचिता, नैतिक मर्यादाओं और लोकतंत्र की स्वस्थ परम्पराओं के प्रति कोई आस्था नहीं है. भाजपा को लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ मंहगा पड़ेगा.