नई दिल्ली. प्रधानमंत्री कार्यालय ने बिजली संयंत्रों को ईंधन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्लान तैयार किया है. वहीं केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने एक निर्देश में कहा है कि ग्राहकों को बिजली की आपूर्ति के बजाय ऊंची कीमतों पर बिजली बेचने वाले राज्यों को बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी. मामले से जुड़े दो सरकारी अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा के साथ हुई बैठक में योजना पर चर्चा हुई. बैठक में कोयला सचिव अनिल कुमार जैन, बिजली सचिव आलोक कुमार और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सुनीत शर्मा ने हिस्सा लिया. बैठक में कोल इंडिया की उपस्थिति भी रही है, जिसे कोयले की आपूर्ति को बढ़ाकर 2.1 मिलियन टन प्रतिदिन करने के लिए रोजाना 200,000 टन कोयले की अतिरिक्त आपूर्ति करनी है.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में बिजली सचिव आलोक कुमार और कोयला सचिव ए के जैन ने कोयला तथा बिजली की उपलब्धता के बारे में पूरी जानकारी दी. बैठक में कोयले का परिवहन बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा हुई. सूत्रों के अनुसार, कोयला मंत्रालय से ईंधन आपूर्ति बढ़ाने को कहा गया है, जबकि रेलवे से बिजलीघरों तक कोयले की ढुलाई को लेकर रैक उपलब्ध कराने को कहा गया है. देश में कोयले की कमी से विभिन्न राज्यों में बिजली की कटौती हुई है. देश में कुल ऊर्जा उत्पादन में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत है.
करीब दो-तिहाई कोयला आधारित बिजलीघरों में एक सप्ताह या उससे कम का ईंधन भंडार बचा है. हालांकि, कोयला मंत्रालय ने कहा कि बिजली आपूर्ति में किसी प्रकार की बाधा की बात गलत है. राज्य मांग को पूरा करने के लिये बिजली एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदने को मजबूर हो रहे हैं. केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने संकट को दूर करने के लिये निर्देश जारी किये हैं. इसमें जहां राज्यों से एक्सचेंज को बिजली ऊंचे दाम पर बेचने से मना किया गया है, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बिजली उत्पादकों से पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा गया है.