नयी दिल्ली. आयात शुल्क कम किये जाने के बाद आयातित तेलों के भाव घटने से दिल्ली मंडी में सोमवार को सोयाबीन डीगम, सीपीओ, पामोलीन जैसे आयातित तेलों के अलावा बाकी तेल- तिलहनों के भाव भी गिरावट का रुख प्रदर्शित करते बंद हुए.
सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में कमी किये जाने के बाद डीगम और सीपीओ जैसे आयातित तेल बाजार में सस्ते हुए हैं. इसी कारण मूल्य में गिरावट दिख रही है. उन्होंने कहा कि जिस अनुपात में आयात शुल्क में कमी की गई है, उस अनुपात में खुदरा भाव कम नहीं किये जा रहे और विशेषकर बड़ी तेल कंपनियां इसका फायदा उठा रही हैं. सरकार भी इस बात को लेकर चिंतित है कि आयात शुल्क में कटौती किये जाने का लाभ किस तरह से उपभोक्ताओं को पहुंचाया जाये.
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में एक प्रतिशत की तेजी है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल 1.8 प्रतिशत मजबूत है. उन्होंने कहा कि विदेशों में तेजी के बावजूद आयातित तेल का भाव सस्ता बैठ रहा है और इसी वजह से कीमतों में गिरावट है.
बाजार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन की नयी फसल की मंडियों में आवक बढ़ रही है और मांग कमजोर है जिसकी वजह से इसके तेल-तिलहन के भाव टूटे हैं. उन्होंने कहा कि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की मांग तथा निर्यात कमजोर होने से भी सोयाबीन तेल-तिलहन में गिरावट आई.
उन्होंने कहा कि सरसों में मांग कमजोर है और यह गरीब उपभोक्ताओं की पहुंच से यह दूर हो रहा है. इसके मुकाबले आयातित सोयाबीन रिफाइंड और सीपीओ उनके लिए सस्ता बैठता है जिसकी ओर इन उपभोक्ताओं का रुख होता जा रहा है. सरसों का स्टॉक नहीं होने से इसकी लगभग 70-75 प्रतिशत तेल मिलें बंद हो गयी हैं. मुंबई की बड़ी कंपनियों ने हरियाणा से 177.50 रुपये किलो (अधिभार सहित) पक्की घानी तेल खरीदा है. उन्होंने कहा कि इस बार सरसों की उपलब्धता कम होने से सरसों खली की मांग है जो आगे और बढऩे की उम्मीद है
उन्होंने कहा कि सरसों में मांग कमजोर है और यह गरीब उपभोक्ताओं की पहुंच से यह दूर हो रहा है. इसके मुकाबले आयातित सोयाबीन रिफाइंड और सीपीओ उनके लिए सस्ता बैठता है जिसकी ओर इन उपभोक्ताओं का रुख होता जा रहा है. सरसों का स्टॉक नहीं होने से इसकी लगभग 70-75 प्रतिशत तेल मिलें बंद हो गयी हैं. मुंबई की बड़ी कंपनियों ने हरियाणा से 177.50 रुपये किलो (अधिभार सहित) पक्की घानी तेल खरीदा है. उन्होंने कहा कि इस बार सरसों की उपलब्धता कम होने से सरसों खली की मांग है जो आगे और बढऩे की उम्मीद है.
सूत्रों ने कहा कि उपभोक्ताओं को पामोलीन सही भाव मिल रहा है लेकिन सूरजमुखी, सोयाबीन और मूंगफली तेल की जो दरें समाचार माध्यमों में दर्शायी जा रही हैं, उनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि मूंगफली का भाव लगभग 200 रुपये लीटर, सोयाबीन रिफाइंड 155 रुपये लीटर और सूरजमुखी तेल का भाव 168-70 रुपय़े लीटर बताया जा रहा है. उन्होंने मूंगफली तेल का उदाहरण देते हुए तर्क दिया कि मूंगफली की नयी फसल मंडियों में आ रही है और इसके हाजिर भाव टूटे हुए हैं लेकिन फिर मूंगफली तेल के भाव को हाजिर भाव से इतना अधिक कैसे बताया जा रहा हैं?
सूत्रों ने कहा कि उपभोक्ताओं को पामोलीन सही भाव मिल रहा है लेकिन सूरजमुखी, सोयाबीन और मूंगफली तेल की जो दरें समाचार माध्यमों में दर्शायी जा रही हैं, उनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि मूंगफली का भाव लगभग 200 रुपये लीटर, सोयाबीन रिफाइंड 155 रुपये लीटर और सूरजमुखी तेल का भाव 168-70 रुपय़े लीटर बताया जा रहा है. उन्होंने मूंगफली तेल का उदाहरण देते हुए तर्क दिया कि मूंगफली की नयी फसल मंडियों में आ रही है और इसके हाजिर भाव टूटे हुए हैं लेकिन फिर मूंगफली तेल के भाव को हाजिर भाव से इतना अधिक कैसे बताया जा रहा हैं?
सूत्रों ने कहा कि वास्तव में सारे खर्च और देनदारी के बाद भी सोयाबीन तेल अधिकतम 135-140 रुपये के दायरे में होना चाहिये. इसी प्रकार सूरजमुखी तेल अधिकतम 135-140 रुपये लीटर और मूंगफली तेल अधिकतम 150-160 रुपये लीटर पडऩा चाहिये. लेकिन बड़ी तेल कंपनियां कटौती का महत्तम लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा पा रही हैं. सूत्रों ने कहा कि सरकार को अधिक भाव पर बिक्री कर अनुचित लाभ कमाने वालों की निगरानी रखनी होगी.