लखनऊ. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच 21 सालों से चले आ रहे परिसंपत्तियों के बंटवारे के विवादों के आखिरकार सुलझने का दावा किया गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लंबी बैठक और बातचीत के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह दावा गुरुवार को किया. धामी ने कहा कि तकरीबन सभी मामलों में आपसी सहमति के साथ निर्णय ले लिया गया है और जो मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं, उन्हें आपसी सामंजस्य से सुलझाने के लिए दोनों राज्य कोर्ट में आवेदन कर कोर्ट से वापस लेंगे. धामी ने ये भी योगी का आभार जताते हुए यह भी कहा कि ये विवाद छोटे और बड़े भाई के बीच होने वाली मामूली बातों की तरह थे.
योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक के बाद धामी ने कहा कि लगभग सारे मामलों पर सहमति बन गई है. वन विभाग के मामले भी सुलझा लिये गए हैं. उन्होंने इस तरह मुद्दे सुलझने की जानकारी दी. 5700 हेक्टेयर भूमि का जॉइंट सर्वे होगा, इसमें से आवश्यकता अनुसार भूमि यूपी के हिस्से में जाएगी और बाकी उत्तराखंड के. आवास विकास के मुद्दों पर दोनों राज्यों के बीच 50-50 फीसदी के आधार पर देनदारियों और परिसंपत्तियों का बंटवारा हो जाएगा. परिवहन विभाग की 205 करोड़ रुपये की रकम उत्तराखंड को मिलेगी. बनबसा किच्छा बैराज का निर्माण यूपी कराएगा. हरिद्वार का होटल अलकनंदा उत्तराखंड को मिलेगा. किच्छा में बस स्टॉप की ज़मीन उत्तराखंड को मिलेगी. वॉटर स्पोर्ट्स शुरू करने की अनुमति
बैठक के बाद धामी ने यह भी बताया कि कुछ मामलों को निपटाने के लिए यूपी ने 15 दिनों का समय मांगा है. इस दौरान जिन मामलों में संयुक्त सर्वे किया जाना है, वो भी होगा. दोनों राज्यों द्वारा कोर्ट से मामले वापस लिये जाएंगे और जो मसले बच गए हैं, 15 दिन बाद वो भी खत्म हो जाएंगे. गौरतलब है कि इससे पहले भी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच इन विवादों को लेकर बातचीत होती रही है, लेकिन पहले सहमति नहीं बन पाई थी.
चुनाव से पहले उत्तराखंड बीजेपी इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि बता रही है और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों का आभार जता रही है, बीजेपी विधायक और सीनियर नेता खजानदास का कहना है कि सीएम योगी और सीएम धामी की बैठक सफल रही और जो काम अपने दो कार्यकाल में कांग्रेस की सरकार नहीं कर पाई, वो काम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी सरकार ने कर दिया.
वहीं, कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि पौने 5 साल में जब कुछ नहीं हुआ, तब चुनाव से पहले ये बैठक कर दी गई ताकि चुनाव में अगर जनता सवाल पूछे तो बीजेपी कह सके कि बैठक तो की. रावत ने कहा कि जमरानी बांध एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन उसको लेकर कोई बात नहीं हुई. वहीं, ज़मीन के मामले में 5 साल बाद भी बात सिर्फ सर्वे तक पहुंच पाई. रावत ने कहा कि जनता सब कुछ समझती है.