तमाम मिथक हुए ध्वस्त, सभी विरोधी हुए पस्त
(रवि प्रकाश श्रीवास्तव) लखनऊ। देश के पांच राज्यों की विधानसभा के आम चूनावों के नतीजे लगभग तय होने की कगार पर हैं हालंकि अभी मतगणना जारी ही है लेकिन फिलहाल काफी हद तक यह लगभग तय होता नजर आ रहा है कि देश के सबसे बड़े और अहम सूबे उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर में भाजपा सरकार बनाने की ओर अग्रसर है तो वहीं पंजाब में आप की सरकार बनना तय है। क्योंकि फिलहाल काफी हद तक ये साफ हो चुका है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा अपने सहयोगियों के साथ तकरीबन 260 से 265 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। बेहद अहम बात ये है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1,02,399 मतों के अंतर से चुनाव जीत गए हैं। गौरतलब है कि समूचे देश ही नही वरन अंतर्राट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा अगर चर्चा का केन्द्र था तो वो देश के सबसे बड़े और अहम सूबे उत्तर प्रदेश के चुनाव क्यों कि जैसा कि अब तक का इतिहास रहा था कि न तो यहां कोई लगातार दोबारा मुख्यमंत्री बन पाया है और न ही तकरीबन पिछले 37 साल से कोई भी पार्टी की सरकार की वापसी हो सकी है।
इतना ही नही बल्कि यूपी में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है। उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती। इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते रहे। उद्घाटन या शिलान्यास को लेकर कुछ को कार्यक्रम के सिलसिले में वहां जाने की जरूरत पड़ी तो नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया गया। योगी ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए।
इन सभी मिथकों को अपने सत्कर्म और बखूबी निभाये गए राजधर्म के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ धता बता दिया बल्कि जनता के बीच अपनी अहमियत को भी बखूबी जता दिया। इसके साथ ही एक ऐसा इतिहास रच दिया जो संभवतः दशकों तक टूटना मुश्किल ही नही नामुमकिन सा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को यूपी की सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज करने का इतिहास बना दिया है। 37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी में भाजपा के ऐसे पहले नेता हो गए हैं जो लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे।
यूपी में ऐसी उपलब्धी डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह और मायावती भी हासिल नहीं कर सके हैं। यूपी के राजनीतिक इतिहास के अनुसार, प्रदेश में 1951-52 के बाद से अब तक डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और मायावती मुख्यमंत्री बने, लेकिन इन्हें यह मौका दो अलग-अलग विधानसभाओं के लिए मिला। मुलायम सिंह यादव और मायावती दो बार से अधिक बार यूपी की सीएम बनी पर इन नेताओं ने भी वह उपलब्धि हासिल नहीं की जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खाते में दर्ज हो गई है। पूरे देश में इस उपलब्धि को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है। वैसे भी देश के राजनेताओं की सूची में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले नंबर पर हैं।