- लोगों को न्याय दिलाना है सबसे बड़ा धर्म
- मुकदमों का बोझ हमारे लिए बड़ी चुनौती
- सस्ता, सुलभ न्याय दिलाना प्राथमिकता
- न्यायपालिका भी करे इसकी प्रभावी पहल
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों को न्याय दिलाने को सबसे बड़ा धर्म बताते हुए कहा कि शीघ्र, सस्ता और सुलभ न्याय दिलाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सरकार अपने स्तर से इसके लिए हर संभव प्रयास कर रही है। क्योंकि मुकदमों का बोझ हमारे लिए बड़ी चुनौती है।
मुख्यमंत्री आज यहां उप्र ज्यूडिशियल सर्विसेज एसोसिएशन के 41 वें अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि न्यायपालिका इस बोझ को कम करने की प्रभावी पहल करे। इसके लिए न्यायपालिका को जिन सुविधाओं की जरूरत होगी सरकार उसे उपलब्ध कराएगी।
योगी ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती और सफलता में न्यायपालिका की अहम भूमिका है। कानून का राज सभ्य समाज की खूबी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले ने कहा कि अदालतों में अब भी 60 लाख से अधिक मुकदमे लंबित हैं। कुछ तो 1942 से लंबित हैं।
उन्होनें कहा कि कई मामलों में तो वाद दायर करने वाले ही नहीं, उनकी अगली पीढ़ियां भी नहीं रहीं। संस्तुत पदों की संख्या 3,750 के सापेक्ष निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों की संख्या सिर्फ 2000 है। सरकार जिस तरह अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रही है, वह तब और प्रभावी होगा जब न्यायपालिका और सशक्त होगी।
जबकि इस दौरान मुख्य न्यायधीश ने कहा कि स्वाभाविक है कि कोई भी संस्था अपने सदस्यों की निजी समस्याओं को उठाती है, पर मेरी अपील है कि संस्था की बेहतरी के लिए भी पहल होनी चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका की तारीफ करते हुए कहा कि अगर इसके बारे में पांच नकारात्मक बातें हैं तो 50 सकारात्मक। जरूरत इन बातों को सामने लाने की है।
वहीं इससे पूर्व लखनऊ के जिला जज नरेंद्र कुमार जौहरी ने अतिथियों का स्वागत किया। कानपुर के अपर जिला जज बीएन रंजन ने संगठन की संक्षिप्त आख्या प्रस्तुत की। लखनऊ हाइकोर्ट के न्यायाधीश राजन राय ने आभार जताया। इस मौके पर संस्था की पत्रिका का विमोचन भी किया गया। संस्था ने मुख्यमंत्री को मांगों के संबंध में एक मांगपत्र भी दिया। मुख्यमंत्री ने इनमें अधिकांश मांगों को मानने का भरोसा दिया।