नई दिल्ली। भारत और फ्रांस के संयुक्त प्रयास से नई दिल्ली में पहली बार हो रहे अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस समिट में पीएम मोदी ने कहा कि इंटरनेशनल सोलर अलायंस का नन्हा पौधा आप सभी के सम्मिलित प्रयास और प्रतिबद्धता के बिना रोपा ही नहीं जा सकता था। इसलिए मैं फ्रांस का और आप सबका बहुत आभारी हूं। 121 सम्भावित देशों में से 61 इस अलायंस से जुड़ चुके हैं और 32 देशों ने रूपरेखा समझौते पर सहमति जता दी है।
इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि भारत में वेदों ने हजारों साल पहले से सूर्य को विश्व की आत्मा माना है।भारत में सूर्य को पूरे जीवन का पोषक माना गया है। आज जब हम जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने का रास्ता देख रहे हैं, तो प्राचीन दर्शन के संतुलन और समग्र दृष्टिकोण की ओर देखना होगा। हमारा हरित भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम साथ मिलकर क्या कर सकते हैं।
पीएम मोदी ने सम्मेलन में शामिल विश्व नेताओं के सामने ये भी बताया कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम शुरू किया गया है। पीएम ने बताया, ‘हम 2022 तक इससे 175 गीगा वाट बिजली उत्पन्न करेंगे जिसमें से 100 गीगा वाट बिजली सौर से होगी।’
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों संयुक्त रूप से समिट की अध्यक्षता की। बता दें कि इसमें अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस से संबद्ध 121 देशों में सौर ऊर्जा के प्रोत्साहन के विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रमुख एरिक सोल्हैम ने अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस को विस्तृत ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम कहा है। इसके साथ ही इसे जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर कहा है।