नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस द्वारा जहांगीरपुरी हिंसा मामले में गिरफ्तार और न्यायिक हिरासत में भेजे गए आरोपी जफर अहमद और बाबुद्दीन अंसारी को अदालत ने एफआईआर एवं अन्य कानूनी दस्तावेजों की कॉपी उपलब्ध कराने के आदेश जांच एजेंसी को दिए हैं. हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट कहा है कि एफआईआर की कॉपी और उसका कंटेंट सोशल मीडिया पर कतई पोस्ट न किया जाए. इससे पहले दिल्ली पुलिस की तरफ से आरोपियों को ये कॉपी दिए जाने की मांग का विरोध किया गया.
रोहिणी कोर्ट की चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपिका सिंह ने यह आदेश दिए. दरअसल, जहांगीरपुरी हिंसा मामले में बीते 27 अप्रैल को गिरफ्तार किए गए जफर अहमद और बाबुद्दीन अंसारी को दो दिन की पुलिस रिमांड के बाद शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. आरोपियों के वकील विवेक कादयान और मोबिना खान की तरफ से कोर्ट में आवदेन देकर कहा गया कि जांच अधिकारी की तरफ से उन्हें एफआईआर कॉपी, पुलिस एवं जुडिशल रिमांड एप्लीकेशन की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई. उन्हें इनकी प्रति उपलब्ध कराई जाए
दिल्ली पुलिस की तरफ से इसका विरोध किया गया. पुलिस की ओर से कहा गया कि एफआईआर का कंटेंट काफी सेंसेटिव है, जिस कारण पुलिस की तरफ से इसे अपने वेब पोर्टल पर भी अपलोड नहीं किया गया है. शांति व्यवस्था एवं सौहार्द बनाए रखने के लिए आरोपियों के वकील को एफआईआर की कॉपी नहीं दी जा सकती. वहीं आरोपियों को अन्य जुडिशल पेपर्स भी फाइनल रिपोर्ट सब्मिट होने के बाद उपलब्ध कराए जाएंगे. जिन जुडिशल पेपर्स की मांग की गई है, वह भी उन्हें नहीं दिए जा सकते. सीएमएम दीपिका सिंह ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बचाव पक्ष के वकील को एफआईआर की कॉपी उपलब्ध कराने के आदेश दिए. हालांकि अदालत ने अपने आदेश में यह साफ कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि एफआईआर की कॉपी और उसका कंटेंट सोशल मीडिया पर पोस्ट न किया जाए.