नई दिल्ली. वाणिज्य मंत्रालय ने 17 मई मंगलवार को थोक मूल्य सूचकांक (डबलूपीआई) पर नए आंकड़े जारी किए. जिसके मुताबिक भारत की मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 15.08त्न हो गई है, जो मार्च में 14.55 प्रतिशत थी. एक साल पहले डबलूपीआई मुद्रास्फीति 10.74 प्रतिशत थी. अप्रैल में एक और 10 फीसद से अधिक प्रिंट का मतलब है कि डबलूपीआई मुद्रास्फीति ने दोहरो अंकों वाले क्षेत्र में अपने प्रवास को लगातार 13 महीने तक बढ़ा दिया है.
मई 2014 के बाद सबसे अधिक
अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी 12 मई को जारी आंकड़ों के बाद आई है. जिसमें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर ट्रैक की गई खुदरा मुद्रास्फीति दर अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई. यह मई 2014 के बाद सबसे अधिक है. मुद्रास्फीति में वृद्धि की उम्मीदों ने आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति को अपनी निर्धारित बैठक से एक महीने पहले और रेपो दर में 40 बेसिस पॉइंट वृद्धि की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
ऑल कमोडिटी इंडेक्स में बढ़ोतरी
15.08 प्रतिशत पर अप्रैल के लिए मुद्रास्फीति प्रिंट वर्तमान सीरीज में सबसे ज्यादा है. जिसके लिए डेटा अप्रैल 2013 से उपलब्ध है. जैसे नवनीतम थोक मुद्रास्फीति संख्या कम से कम 9 सालों में सबसे अधिक है. क्रमिक मूल्य दबावों में समग्र वृद्धि के कारण अप्रैल में मुद्रास्फीति अधिक थी. डबलूपीआई का समग्र ऑल-कमोडिटी इंडेक्स 2.1 प्रतिशत बढ़ा, जबकि ईंधन और बिजली ग्रुप का सूचकांक मार्च की तुलना में अप्रैल में 2.8 प्रतिशत अधिक था.
अर्थशास्त्री ने यह कहा
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि गर्मी के कारण फलों, सब्जियों और दूध जल्दी खराब हो जाता है. जिस कारण कीमतों में तेजी आई है. उन्होंने कहा, मुद्रास्फीति के संदर्भ में विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति अप्रैल में पांच महीने के उच्च स्तर 10.85त्न पर पहुंच गई. नायर ने आगे कहा कि जून में 40 आधार बिंदु वृद्धि और उसके बाद 35 बेसिस पॉइंट बढ़ोतरी की उम्मीद है.