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राज्यसभा चुनावः BJP की नौवीं सीट पर दावेदारी, सपा-बसपा गठबंधन को पड़ सकती है भारी

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लखनऊ। प्रदेश में राज्यसभा की नौवीं सीट पर अचानक खास रणनीति के तहत बीजेपी द्वारा नौवीं सीट पर उम्मीदवार को पेश करना अब सपा और बसपा गठबंधन के लिए काफी हद तक दुश्वारी तो पैदा करेगा ही। एक तरह से बीजेपी ने एक निर्दलीय को मैदान में उतारकर सेंध लगाने की कोशिश की है। जो काफी हद तक सफल भी साबित होने की संभावना है क्योंकि सपा  में कुनबे की कलह तो चल ही रही थी वहीं तमाम दिग्गजों को किनारे कर सपा का जया प्रेम भाजपा के गेम को कामयाबी दिलाने में काफी हद तक सहायक साबित हो सकता है।

गौरतलब है कि बीजेपी की तरफ से अनिल अग्रवाल ने आज राज्यसभा में 9 वें प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर दिया है। भाजपा द्वारा ऐसा किये जाने से मुकाबला काफी रोचक और दिलचस्प हाे गया है। ज्ञात हो कि इससे पहले यूपी राज्यसभा के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत बीजेपी ने अपने 8 कैंडिडेट की सूची जारी की थी।

जानकारों की मानें तो 8 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की जीत पक्की होने के बाद बीजेपी ने 9वें प्रत्याशी काे भी मैदान में उतारने का मन बनाया। संख्या बल के आधार पर बीजेपी के 8 प्रत्याशियों की जीत तय है जबकि सपा अपने एक प्रत्याशी जया बच्चन को निर्विरोध राज्यसभा भेज रही है। दरअसल पेंच तो 10वीं सीट के लिए फंसा है। क्योंकि बसपा ने उपचुनाव में सपा को समर्थन देकर बदले में राज्यसभा की एक सीट पर समर्थन मांगा है।

अब अगर गौर से इन सीटों के लिए मतों का गणित देखें तो उसके हिसाब से बीजेपी और सहयोगी दलों के पास 325 विधायक हैं। जबकि एक सीट के लिए 37 विधायकों की जरुरत है। जिसके हिसाब से 8 प्रत्याशियों को राज्यसभा भेजने के बाद बीजेपी के पास 21 अतिरिक्त विधायक बच रहे हैं। वहीं सपा के पास 47 विधायक है। जैसा कि माना जा रहा था कि जया बच्चन को राज्यसभा भेजने के बाद सपा के पास 10 विधायक शेष हैं। बसपा के 19 विधायक और कांग्रेस के पास 7 विधायक हैं। सपा के बचे हुए विधायक और बसपा कांग्रेस के विधायक मिलाकर कुल संख्या 36 पहुंचती है। रालोद के एक विधायक के समर्थन के बाद बसपा के भीमराव अम्बेडकर आसानी से चुन लिए जाएंगे।

गाैरतलब है कि राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को होने वाले चुनाव में से सबसे ज्यादा 10 सीटें यूपी की हैं। फिलहाल इन 10 सीटों में से 6 सीटें सपा और 2 सीट बसपा के पास थीं, लेकिन मायावती के इस्तीफा देने के बाद से ही एक सीट खाली है और 1-1 सीटें कांग्रेस और बीजेपी के पास हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिले अपार बहुमत के कारण ऐसा माना जा रहा है कि इन 10 सीटों में एक 8 सीटें बीजेपी के खाते में जाएंगी, जबकि सपा को एक सीट मिलेगी। लेकिन इस बीच अब बीजेपी ने अपना दांव चल दिया है। जिसके बाद अब बसपा के भीमराव अम्बेडकर और बीजेपी समर्थक प्रत्याशी के बीच वोटिंग हो सकती है। जिससे बीजेपी की जीत 8 नहीं बल्कि 9 सीटों पर हो सकती है।

 

 

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