नई दिल्ली. चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त सुविधाएं देने संबंधी घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. मंगलवार को कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से उसका पक्ष बताने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त उपहार देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के मुद्दे को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर एक स्टैंड लेने के लिए कहा. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र से इस बात पर विचार करने को कहा कि क्या समाधान के लिए वित्त आयोग के सुझाव मांगे जा सकते हैं.
वरिष्ठ वकील सिब्बल ने बताया गंभीर मुद्दा
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में दिए जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की राय मांगी, जो किसी अन्य मामले को लेकर उस समय अदालत में मौजूद थे. कोर्ट ने कहा श्री सिब्बल यहां हैं. एक वरिष्ठ सांसद के रूप में. आपका इस पर क्या विचार है? इस पर सिब्बल बोले यह एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन इसे राजनीतिक रूप से नियंत्रित करना मुश्किल है. उन्होंने कहा वित्त आयोग जब विभिन्न राज्यों को धन आवंटन करता है, तो वे राज्य के कर्ज और मुफ्त की मात्रा को ध्यान में रख सकते हैं. वित्त आयोग इससे निपटने के लिए उपयुक्त प्राधिकरण है. शायद हम इस पहलू को देखने के लिए आयोग को आमंत्रित कर सकते हैं. केंद्र से निर्देश जारी करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
3 अगस्त को अगली सुनवाई
इसके बाद पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से सिब्बल के सुझावों पर आयोग की राय जानने को कहा. कोर्ट ने कहा श्री नटराज, कृपया वित्त आयोग से इस पर गौर करने के लिए कहें. कृपया देखें कि बहस कैसे शुरू की जा सकती है. अब मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी. शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें चुनाव चिन्हों को जब्त करने और उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिन्होंने सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त उपहार बांटने का वादा किया था.