नई दिल्ली। देश के बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से कहा कि वो किसी को समझौते के लिए नहीं कह सकते। कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि हम किसी को नहीं कह सकते कि समझौता करो और किसी को समझौता करने से इन्कार भी नहीं कर सकते।
साथ ही बेंच ने आगे कहा कि अगर दोनों पक्षों के वकील खुद आकर कहें कि हमने समझौता कर लिया है तो हम मुद्दे को रिकॉर्ड कर लेंगे। लेकिन समझौते के लिए हम ना तो किसी को कह सकते हैं और ना नियुक्त कर सकते हैं। हम इस तरह के केस में ऐसा कैसे कर सकते हैं। अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी।
जबकि इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही सर्वोच्च न्यायालय ने इस केस में हस्तक्षेप करने वाली तीसरे पक्ष की कुल 32 याचिकाएं खारिज कर दीं। इनमें अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल और तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका भी शामिल थी।
गौरतलब है कि सभी कागजी कार्रवाई और अनुवाद का काम पूरा हो गया है। आठ मार्च को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार के समक्ष हुई बैठक में सभी पक्षों ने यह जानकारी दी। हाई कोर्ट आदेश के खिलाफ सबसे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लिहाजा पहले बहस करने का मौका उन्हें मिल सकता है।
इसके अलावा इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी। इस केस से जुड़े लगभग सभी वकीलों का मानना है कि सारी तकनीकी औपचारिकतायें पूरी हो चुकी है। यानी देश के सबसे बड़े मुकदमे में अब दलील शुरू करने का समय आ चुका है।
ज्ञात हो कि श्रीरामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास ने सुनवाई से पहले कहा कि देश के सुप्रीम कोर्ट में होने वाली रामजन्मभूमि मामले की सुनवाई अब रुकनी नहीं चाहिये। उन्होंने कहा कि इसका निपटारा इसलिये अब आवश्यक हो गया है कि देश में सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे। वहीं दूसरी तरफ वहीं मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है कि मामले के पेपर अभी पूरे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग चक्कर लगा रहे हैं। हम चाहते हैं कि यह मामला जल्द खत्म हो।