चंडीगढ़! चंडीगढ़ की एक स्थानीय अदालत ने बब्बर खालसा अंतर्राष्ट्रीय (बीकेआई) के आतंकी जगतार सिंह तारा को उम्रकैद की सजा सुनाई. उसे एक दिन पहले ही 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया गया था.
बेअंत सिंह और 17 अन्य को ‘मानव बम’ दिलावर सिंह ने खुद को उड़ा कर मौत के घाट उतार दिया था. घटना 31 अगस्त 1995 को भारी भरकम सुरक्षा वाले पंजाब सचिवालय परिसर की है. बुरैल जेल में उच्च सुरक्षा के बीच आयोजित की गई विशेष अदालत ने यह सजा सुनाई.
बीकेआई के तीन आतंकी तारा, जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भौरा और सहयोगी देवी सिंह उच्च सुरक्षा वाली बुरैल जेल में 104 फीट लंबी सुरंग बनाकर 21-22 जनवरी 2004 में यहां से भाग निकले थे. हवारा और भौरा को सुरक्षा एजेंसियों ने दोबारा गिरफ्तार कर लिया था लेकिन तारा उनकी पहुंच से बाहर था. जेल तोड़कर भागने के 11 साल बाद उसे जनवरी 2015 में थाईलैंड से दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया.
क्या था मामला- बता दें कि तारा ने 1995 में हुई बेअंत सिंह की हत्या के मामले में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली थी. यह कबूलनामा इस वर्ष (2018) के जनवरी माह में अदालत को सौंपा गया था. गौरतलब है कि खालिस्तान टाइगर फोर्स का स्वयंभू कमांडर जगतार सिह तारा 31 अगस्त 1995 को हुई बेअंत सिंह की हत्या का मास्टरमाइंड है. उस दिन चंडीगढ़ में पंजाब सचिवालय के सामने आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया था, जिसमें बेअंत सिंह समेत 18 लोगों की मौत हो गई थी.