नई दिल्ली। हाल के कुछ समय से केजरीवाल के सितारे गर्दिश में चल रहें हैं और अपनी ही कही बात से इधर कई बार पलटने के कारण लोगों में अब उनकी छवि वैसे ही काफी धूमिल हो चुकी है। वहीं इस क्रम में अब एक और मामला तब जुड़ गया जब राजधानी में सीलिंग को लेकर व्यापारियों का समर्थन करने के लिए अनशन करने जा रहे केजरीवाल अचानक अपनी कही बात से पलट गये। उनके ऐसा करने से व्यापारियों में भारी नाराजगी है और उन्होंने मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांग लिया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल अब अमर कॉलोनी व लाजपत नगर में व्यापारियों के साथ अनशन नहीं करेंगे। जबकि 9 मार्च को अमर कॉलोनी में जाकर उन्होंने घोषणा करते हुए सीलिंग से त्रस्त व्यापारियों को आश्वस्त किया था कि 31 मार्च तक सीलिंग नहीं रुकी तो वह व्यापारियों से बीच आकर सीलिंग के विरोध में अनशन पर बैठेंगे।
जाहिर सी बात है कि एसे में जब लोगों में उत्सुकता बढ़ी और व्यापारी व पत्रकार यह जानने की कोशिश में लग गए कि क्या केजरीवाल सीलिंग के विरोध में अनशन पर बैठेंगे? चारों ओर से आ रहे सवालों पर आम आदमी पार्टी ने शाम को प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अनशन पर नहीं बैठेंगे।
जिसके तहत आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि अगर 31 मार्च 2018 तक सीलिंग नहीं रुकी तो वह अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे। लेकिन पार्टी बताना चाहती है कि 2 अप्रैल से सुप्रीम कोर्ट सीलिंग के मामले पर हर रोज सुनवाई करने जा रहा है। दिल्ली सरकार ने इस मामले में दो अच्छे वरिष्ठ अधिवक्ताओं को नियुक्त भी किया है। लिहाजा कई वकीलों व व्यापारिक संगठनों की सलाह है कि ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री का अनशन पर बैठने का फैसला अदालत को नाराज भी कर सकता है। मुख्यमंत्री ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अभी के लिए अपने निर्णय को स्थगित कर दिया है।
ज्ञात हो कि केजरीवाल का अपनी बात से पलटने का यह पहला मौका नहीं है। अभी कुछ दिन पहले अदालत में चल रहे मामले में पंजाब के पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया से वह माफी मांग चुके हैं। जिस पर उनके सहयोगी कुमार विश्वास ने बेहद ही घटिया तंज कसा था।
इस मामले में दो प्रमुख विरोधी दलों ने भी केजरीवाल को आड़े हाथों लिया है। जिस पर जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल के लिए सीलिंग का मुद्दा सिर्फ इवेंट मैनेजमेंट जैसा है। मुख्यमंत्री को अनशन की घोषणा करनी नहीं चाहिए थी, क्योंकि मुख्यमंत्री खुद अनशन पर बैठेंगे तो दूसरे क्या करेंगे।
वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि ‘आप’ ने दिल्ली के लोगों और व्यापारियों को एक बार फिर धोखा दिया। मुख्यमंत्री के यू-टर्न लेने में कुछ नया नहीं है। उनका पूरा राजनीतिक करियर ही लोगों की उम्मीदें बढ़ाकर फिर विपरीत दिशा में चले जाने पर आधारित है।