उत्तरकाशी में रविवार सुबह चीन सीमा को जाने वाला एक मात्र गंगोत्री पुल फिर से ढह गया. तीन महीने पूर्व ही इस स्थान पर पुल टूट गया था तब इसकी वजह ओवर लोड बताई गई थी. अब 18 टन भार क्षमता का नया वैली ब्रिज बनाया गया, जो रेत के एक अकेले ट्रक के भार को ही सहन नहीं कर सका और फिर से जमींदोज हो गया.
पुल टूटने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन की ओर से एसपी, एडीएम और एसडीएम मौके पर पहुंचे. जिम्मेदारी से बचने के लिए कोई भी अधिकारी कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हुआ कि आखिरकार किस वजह से गंगोत्री हाईवे पर पुल धराशाही हो रहे हैं.
जिला प्रशासन की ओर से एसडीआरएफ की टीम को मौके पर वैकल्पिक पुल निर्माण के निर्देश दिए, जो वैकल्पिक मार्ग बनाने में लगी है, वहीं बीआरओ के कमांडर ने अपने बचाव में कहा कि वर्ष 2008 में गंगोत्री में इसी स्थान पर अस्सी गंगा पर बनकर तैयार वैली ब्रिज उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो गया था. साल 2012 में स्वारीगाड़ में बीआरओ का निर्माणाधीन वैली ब्रिज भी उद्घाटन के समय ध्वस्त हो गया था. 2014 में धौंतरी में मोटर पुल तब ध्वस्त हो गया जब इसके ऊपर से ओवर लोडिंग ट्रक गुजर रहा था।
साल 2014 में अस्सी गंगा में एनबीसीसी का वैली ब्रिज भी लॉन्चिंग के ध्वस्त हो गया था. साल 2015 में गंगोत्री हाइवे से लगे अठाली में बहुप्रतिक्षित दस करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन 80 मीटर स्पान पुल भरभरा कर ढहा था.
वर्ष 2015 फरवरी में गजोली में 18 लाख की लागत से निर्माणाधीन 19 मीटर स्पान का पैदल पुल स्टरिंग के चलते ढह गया था. साल 2017 दिसंबर में दो ट्रकों की आवाजाही के दौरान गंगोरी वैली ब्रिज टूट गया था. 1 अप्रैल 2018 को गंगोरी वैली ब्रिज फिर से तीसरी बार एक ट्रक के गुजरने मात्र से ही ढह गया है.