नयी दिल्ली। मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में आरोपियों के बरी हो जाने को लेकर एक तरफ जहां सोशल मीडिया पर ट्वीट वार जारी है वहीं साथ ही तमाम राजनीतिज्ञ, समाजसेवी तथा पत्रकार वर्ग समेत आम लोगों की राय और प्रतिक्रियाऐं आना जारी हैं। बता दें कि एनआईए कोर्ट ने इस मामले में सबूतों के अभाव में असीमानंद समेत 5 आरोपियों को बरी कर दिया है।
गौरतलब है कि 11 साल पुराने मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में सोमवार को एनआईए की विशेष अदालत ने असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 18 मई 2007 को हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी वहीं 58 लोग घायल हुए हैं। कोर्ट के फैसले के बाद अब इस पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं हैं।
जिसके तहत एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले से नाखुशी जताते हुए कहा है कि केस में न्याय नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि या तो एनआईए ने इस केस को वैसे पेश किया जैसे किया जाना था या फिर राजनीतिक पंडितों ने ऐसा नहीं होने दिया। ओवैसी ने पूछा कि जून 2014 के बाद से बड़ी संख्या में गवाह अपने बयानों से मुकर गए। अगर इसी तरह के पक्षपात वाले केस न्याय व्यवस्था में चलते रहे तो कैसे न्याय होगा?
वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने फैसले के बाद कांग्रेस को अपने निशाने पर लिया है। भाजपा नेता संबित पात्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा भाजपा कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी। हम भारत की न्यायप्रणाली के काम पर टिप्पणी नहीं करते। यह एक स्वतंत्र व्यवस्था है। लेकिन 2जी के फैसले के समय कोर्ट को सही ठहराने वाली कांग्रेस आज उसी कोर्ट को गलत ठहरा रही है। अदालत के इस फैसले के बाद जहां आरएसएस व भाजपा से जुड़े लोगों राकेश सिन्हा व विनय कटियार समेत कई अन्य ने भी अपनी तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इसे कोर्ट द्वारा दूध का दूध और पानी का पानी किया जाना करार दिया।।
वहीं इस मामले में सोशल मीडिया पर भी लोग सक्रिय हैं. इस मुद्दे पर कई वरिष्ठ पत्रकारों, राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों व आम आदमी ने ट्वीट किये हैं और अपनी-अपनी राय रखी है। जिसके तहत वरिष्ठ टीवी पत्रकार ब्रजेश सिंह ने इस मामले में ट्विटर पर लिखा – हिंदू आतंकवाद के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर कांग्रेस की अगुआई वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने जिस स्वामी असीमानंद को जेल भेजा, वो आतंक के मामलों में फंसने से पहले गुजरात के डांग जिले में इस एक कमरे के मकान में रहते थे व आदिवासियों को ईसाई मिशनरियों के चंगुल में फंसने से रोक रहे थे।
साथ ही पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा – 11 साल बाद मक्का मसजिद ब्लास्ट के सभी आरोपी बरी हुए, बिल्कुल आठ लोगों की जान लेने वाले व 58 को घायल करने वाले उस विस्फोट के लिए कोई जिम्मेवार नहीं है, यह है इंडिया। इसी प्रकार वहीं, एएनआइ की एडिटर स्मिता प्रकाश ने यूपीए सरकार के समय गृह सचिव रहे आवीएस मणि के बयान के हावले से लिखा – यह एक यूनिक केस है, जिसमें आज की सरकार, एजेंसियों ने आतंक के दोषी व्यक्ति को संरक्षण दिया। कोई और देश इस तरह नहीं कर सकता है, यह यहां किया गया।
जबकि वरिष्ठ पत्रकार व द वायर वेबसाइट के संस्थापकों से एक एमके वेणु ने लिखा – मक्का मसजिद केस से सभी हिंदू आतंकियों को बरी कर दिया जाना सीबीआइ और एनआइए की एक और बड़ी विफलता है। बहुत से गवाह मुकर गये। क्रिटिकल डॉक्यूमेंट खो गये. जांच व प्रोसिडिंग पर विश्वसीनयता का सवाल है. उन्होंने एक और ट्वीट में कहा कि मक्का मसजिद, अजमेर व समझौता एक्सप्रेस एवं मालेगांव में कई आरोपियों के नाम साझा हैं।
इसके अलावा अंकुर जैन ने लिखा – स्वामी असीमानंद और अन्य आरोपी मक्का मसजिद केस से बरी हुए। हिंदुओं को आतंकी के रूप में दिखाने का प्लान विफल हुआ, अब हिंदुओं को रेपिस्ट के रूप में दिखाने का जो मंदिरों में भी रेप करते हैं के रूप में दिखाने का प्लान अभी जारी है।